मतदाताओं ने की चुनाव बहिष्कार की घोषणा, लगाए पोस्टर बैनर, ये है कारण

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। बुनियादी सुविधाओं के बड़े बड़े वादों से छले गए मतदाताओं ने अब चुनाव बहिष्कार (Election Boycott) की घोषणा की है। मतदाताओं का कहना है कि नेता वादा करके भूल जाते हैं, शहरों में हमें गांव से भी बदतर हालात झेलने पड़ रहे हैं। इसलिए अब नेताओं को वोट देने का क्या फायदा। मतदाताओं ने अपनी कॉलोनी में “सड़क पानी नहीं तो वोट नहीं”, “विकास नहीं तो वोट नहीं” के बैनर पोस्टर लगाकर विरोध शुरू कर दिया है।

ग्वालियर (Gwalior News) की आदित्यपुरम फेस 2 कॉलोनी के निवासी सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज हैं। शिकायतों के बावजूद ना तो क्षेत्रीय विधायक ने कोई स्थाई हल निकाला और ना ही पूर्व पार्षद ने कभी इस कॉलोनी पर ध्यान दिया।नतीजा ये है कि वार्ड क्रमांक 18 के अंतर्गत आने वाले आदित्यपुरम फेस 2 के निवासी अब चुनाव बहिष्कार Municipal Election Boycott) की घोषणा कर रहे हैं।

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स्थानीय निवासी नारायण भदौरिया और संजीव त्यागी ने बताया कि मार्च से कॉलोनी के लोग पीने के पानी के लिए परेशान हैं, नगर निगम कभी टैंकर भेज देता है कभी नहीं, नतीजा लोगों को खुद अपने खर्चे पर  टैंकर खरीदना पड़ता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक कॉलोनी में सड़के भी नहीं हैं, बारिश में बुरा हाल हो जाता है।

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सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे कॉलोनी के करीब 400 से ज्यादा परिवारों ने चुनावों के बहिष्कार का फैसला लिया है , उन्होंने बहिष्कार का एलान करने वाले पोस्टर, बैनर कॉलोनी में लगा दिए हैं , उस पर लिख दिया है ,  “सड़क पानी नहीं तो वोट नहीं”, “विकास नहीं तो वोट नहीं”.


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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