DFO पर करीब 12 लाख के भ्रष्टाचार के आरोप, वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची शिकायत

Atul Saxena
Published on -

नर्मदापुरम, डेस्क रिपोर्ट। भ्रष्टाचार (Corruption) को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के जीरो टॉलरेंस के आदेश को किस तरह से वरिष्ठ अधिकारी ही पलीता लगाते हैं इसका खुलासा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को भेजे गए एक शिकायती पत्र में हुआ है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भेजी गई शिकायत में IFS अधिकारी, तत्कालीन DFO अजय कुमार पांडेय पर 11 लाख 85 हजार रुपये के भ्रष्टाचार (Corruption charges against DFO) के आरोप लगाए गए हैं।

वन विभाग होशंगाबाद से सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक एवं वन कर्मचारी संघ के संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी ने एक डिटेल शिकायती पत्र अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक नर्मदापुरम को भेजा है जिसमें शिकायत की गई है कि IFS अधिकारी, तत्कालीन DFO होशंगाबाद अजय कुमार पांडेय ने 23 जुलाई 2019 को ईको सिस्टम सर्विस इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (Ecosystem Services Improvement Project, ESIP) में अपने उप वन क्षेत्रपाल हर गोविंद मिश्रा के साथ होशंगाबाद वन मंडल के 150 ग्रामीणों को महाराष्ट्र के राले गांव सिद्धि, महाराष्ट्र (जो अन्ना हजारे के नाम से प्रख्यात है) भेजा था।

ये भी पढ़ें – ऐसा हो गया है Amitabh Bachchan का हाल, करना पड़ रही है बाथरूम की सफाई

लेकिन खास बात ये है कि प्रदेश के बाहर के इस प्रवास की कोई रुप रेखा नहीं बनायी गयी, न कोई दिशा निर्देश जारी किये गये, न कोई होने वाले खर्च के मापदण्ड निर्धारित किये, जिस पर 11 लाख 85 हजार रुपए का खर्च अकाउंट में प्रतिपूर्ति भुगतान के रुप मे समायोजित किये गये हैं जो वित्तीय नियमों के विपरीत थे और यह खर्च दल के मात्र एक दिन राले गांव सिद्धि महाराष्ट्र में रुकने पर किया गया बताया है।

ये भी पढ़ें – 10 साल की उम्र में शिल्पा शेट्टी का बेटा बना बिजनेसमैन, शुरू किया स्टार्टअप

शिकायती आवेदन में कर्मचारी नेता मधुकर चतुर्वेदी ने लिखा कि लाखों रुपये का खर्च जहां दिखाया गया वहां कोई होटल या भोजनालय भी नहीं है। दल को एक हॉल में रुकाया गया था लेकिन 71 कमरों में रुकवाने के लिए प्रतिदिन 97,500/- रुपये और भोजनालय के 91,500/- रुपये प्रतिदिन की दर से कर्मचारियों को प्रतिपूर्ति के रुप में समायोजित कर भ्रष्टाचार हुआ है। छोटी सी जगहो में एक दिन का रुकने और भोजन पर लगभग 2 लाख रुपये का खर्च किसी कर्मचारी का अपने पास से खर्च करना विचारणीय है।

ये भी पढ़ें – IMD Alert : बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना सहित कई राज्यों में भारी बारिश के आसार, ऐसा रहेगा दिल्ली का मौसम

आवेदन में कहा गया कि बाद में अजय श्रीवास्तव (वनपाल) 97,500/- रुपये , राजेन्द परते (उप वन क्षेत्रपाल) 97,500/- रुपये, जीवन यादव (वनरक्षक) 97,500/- रुपये और केसरी पाल (वनरक्षक) 35,100/- रुपये को वाहन (जीप) का फर्जी बिल भी अजय कुमार पांडे IFS तत्कालीन DFO होशंगाबाद द्वारा प्रतिपूर्ति भुगतान किया गया है। इसी प्रकार किसी श्रीमती रंजीता को प्रतिदिन 91,500/- रुपये कुल 3,66,000/- रुपये प्रतिपूर्ति भुगतान DFO अजय कुमार पांडेय ने एकाउंट में समायोजित कर भ्रष्टाचार किया है एवं कर्मचारियों को प्रतिपूर्ति भुगतान कर समस्त राशि को उन्होंने उप वन क्षेत्रपाल हर गोविंद मिश्रा के माध्यम से वसूल कर लिया है, जिसकी जांच उच्च अधिकारी से कराई जाये।

ये भी पढ़ें – National Sports Day 2022 : क्यों 29 अगस्त को ही मनाया जाता है खेल दिवस, यहां जाने इतिहास, महत्व और बहुत कुछ

शिकायती आवेदन में मधुकर चतुर्वेदी ने दावा किया है कि उप वन क्षेत्रपाल हर गोविंद मिश्रा ने अपनी डायरी में 23 जुलाई से 27 जुलाई 2019 के बीच खुद को बनापुरा में होना बताया है जबकि वो इस दौरान अन्ना हजारे के साथ राले गांव सिद्धि में था जिससे घोटाला (Corruption charges against IFS officer) प्रमाणित होता है। कर्मचारी नेता ने इसका प्रमाण भी दिया है।

DFO पर करीब 12 लाख के भ्रष्टाचार के आरोप, वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची शिकायत

DFO पर करीब 12 लाख के भ्रष्टाचार के आरोप, वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची शिकायत

वन कर्मचारी नेता ने लिखा है कि प्रतिपूर्ति भुगतान किया जाना वित्तीय अनियमितता यानि भ्रष्टाचार का परिचायक है, सारे भुगतान ऑनलाइन न किये जाने के नियम के लिए जिम्मेदारी अजय कुमार पांडेय IFS तत्कालीन DFO होशंगाबाद की थी।  उन्होंने आरोप लगाया कि अजय कुमार पांडेय हमेशा से ही नियमों से ऊपर उठकर काम करने के लिए जाने जाते है। फर्जी डायरी लिखना, शासकीय वाहन की लॉगबुक गायब करने वाले को DFO पद पर रखना भी न्यायोचित न होगा।

इस शिकायत के बाद विभाग में खलबली है, आवेदन में तत्कालीन DFO अजय कुमार पांडेय के साथ जिन जिन कर्मचारियों के नाम हैं उनमें घबराहट का माहौल है, क्योंकि यदि मधुकर चतुर्वेदी की शिकायत पर  गंभीरता से जांच हुई तो कई अधिकारी कर्मचारी संकट में आ सकते हैं। अब देखना ये होगा कि अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं?


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News