इटारसी से है महात्मा गांधी का पुराना नाता, जिस कक्ष में रुके वहां है संग्रहालय

होशंगाबाद/इटारसी,राहुल अग्रवाल। 2 अक्टूबर मोहनदास करमचंद गाँधी यानी महात्मा गांधी की जयंती है। आज बापू हमारे बीच नही है पर उनकी कही हुई बाते और संघर्ष आज भी हमे मार्गदर्शित करते है। बापू के संघर्ष की कहानी बहुत लंबी है पर आज का विषेषांक बापू के इटारसी प्रवास पर है। बापू का इटारसी से पुराना नाता रहा है। इटारसी के गोठी धर्मशाला में बापू ने एक दिन रुक कर विश्राम किया था। आज भी वो कक्ष वही है और वैसा ही है जिसे संग्रहालय का रूप दिया जा चुका है। जहां आज बापू के प्रवास के समय की वस्तुएं और उनका लिखा हुआ लेटर सुरक्षित रखा हुआ है ।

इटारसी से है महात्मा गांधी का पुराना नाता, जिस कक्ष में रुके वहां है संग्रहालय


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।