Narmadapuram News : शासकीय चिकित्सालय की बड़ी लापरवाही, खुले में फेंकी एक्सपायरी डेट की दवाएं

दवाओं के एक्सपायर होने से लेकर इनके इस तरह कूड़े के ढेर में फेंके जाने के मामले में स्वास्थ्य विभाग सवालों के कठघरे में है। अगर अच्छे से जांच हो तो इसमें लापरवाही और अनियमितता की कई परतें उजागर हो सकती है।

Amit Sengar
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Narmadapuram News : नर्मदापुरम जिले के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्वास्थय केंद्र सिवनी मालवा में बड़ी मात्रा में जीवन रक्षक दवाएं एक्सपायरी हो गई। इन दवाओं को कोरोनकाल के समय मंगाया गया था। मगर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते लाखों रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गई। एक्सपायर दवाओं को सुरक्षित स्थान पर फेंकने की वजह अस्पताल के पीछे खुले में कचरे के ढेर में फेंक दिया गया।

क्या है पूरा मामला

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाही का बड़ा मामला देखने को मिला है। जहाँ कोरोनकाल 2022 और 2023 में जीवन रक्षक दवाएं आई थी। जिसमे अधिकांश दवाएं उसी समय एक्सपायर हो गई है। इन दवाओं में कोरोनकाल में उपयोग होने वाली महत्वपूर्ण सामग्री थी। जिसमे टेस्टिंग किट, एंटीबायोटिक, पीपीई किट सहित सैकड़ों की संख्या में सेनेटाइजर की बोतले भी थी। जो सामग्री एक्सपायर हुई है उनका उपयोग कोरोनकाल में हो सकता था। परंतु अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते सभी सामग्री एक्सपायर हो गई।

जबकि एक्सपायर दवाएं को सुरक्षित स्थान पर फेंकने की वजह अस्पताल परिसर में स्थित पोस्टमार्टम कक्ष के पीछे खुले में फेंक दिया गया। जो स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर करता है। जैसे ही यह खबर अस्पताल के बीएमओ जय सिंह कुशवाहा तक पहुँची तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से कर्मचारियों को भेजकर सभी एक्सपायर दवाओं को उठवाकर सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया।

स्वास्थ्य नियमावली के अनुसार, एक्सपायर होने वाली दवाओं को भी जहां तहां-नहीं फेंक सकते है। ऐसी दवाओं का डिस्पोजल करने एक सिस्टम होता है। इन्हें इस तरह फेंका नहीं जा सकता। कुल मिलाकर दवाओं के एक्सपायर होने से लेकर इनके इस तरह कूड़े के ढेर में फेंके जाने के मामले में स्वास्थ्य विभाग सवालों के कठघरे में है। अगर अच्छे से जांच हो तो इसमें लापरवाही और अनियमितता की कई परतें उजागर हो सकती है।

नर्मदापुरम से राहुल अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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