अनिश्चितकालीन हड़ताल का दूसरा दिन, व्यापारियों ने सौंपा मंडी सचिव को ज्ञापन

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। मध्यप्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ के आह्वान पर शुरु की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल का आज दूसरा दिन है। हड़ताल के दूसरे दिन गल्ला व्यपारियो ने मंडी सचिव को एक ज्ञापन सौंपा है।

मंगलवार को द इटारसी ग्रेन एंड सीड मर्चेंट एसोसिएशन ने मंडी सचिव को ज्ञापन देकर हड़ताल केअनिश्चितकालीन रहने की सूचना दी है। एसोसिएशन अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यह हड़ताल अनिश्चितकालीन रहेगी। उन्होंने बताया अध्यादेश से प्रदेश की कृषि उपज मंडियों का कारोबार प्रभावित होने लगा है, बेनामी व्यापार बढ़ रहा है। मंडी के बाहर मंडी फीस, निराश्रित शुल्क, मंडी लाइसेंस को समाप्त कर दिया है। मंडी परिसर में मंडी अधिनियम लागू है। जिससे व्यापार में असंतुलन हो गया है।

वहीं मंडी सचिव उमेश बसेड़िया ने कहा कि गुरुवार से शुरू हुई हड़ताल का असर मंडी के कामकाज पर पड़ रहा है । इस समय प्रतिदिन दो-तीन हजार क्विंटल अनाज की आवक इटारसी मंडी में हो रही है। हालांकि सीजन में यह आवक प्रतिदिन 10 से 15 हजार क्विंटल हो जाती है। अगले माह से धान व मक्का की आवक शुरू होगी। क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन के जिलाध्यक्ष हरपाल सिंह सोलंकी ने कहा अगले महीने धान आएगी तब मंडी में आवक बढ़ेगी। व्यापारियों की हड़ताल से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। मंडी व्यपारियो ने ज्ञापन सौपकर जल्द से जल्द निराकरण की मांग की इस अवसर पर अनिल राठी,मंटु ओसवाल,चुटई महाराज,ओम मालवीय,प्रदीप साहू आदि व्यापारी उपस्थित थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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