जन प्रतिनिधियों के पत्रों का जवाब नहीं दिया तो अफसरों पर पड़ेगा भारी, हिसाब भी रखना होगा

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अधिकारियों द्वारा जन प्रतिनिधियों (Public representatives) और वरिष्ठ अधिकारियों (Senior officials)के पत्रों को नजरअंदाज करना अर्थात उसका जवाब नहीं देना भारी पड़ सकता है। कलेक्टर ने सभी अधीनस्थों को निर्देश दिया हैं कि जन प्रतिनिधि अथवा कोई भी वरिष्ठ अधिकारी पत्र लिखता है तो उसका जवाब दिया जाए साथ ही उसका हिसाब रख कर उसे एक पोर्टल पर अपलोड भी किया जाए।

कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Kaushalendra Vikram Singh)ने अंतर विभागीय बैठक (Inter Departmental Meeting) में अधिकारियों से कहा कि कई विभागीय अधिकारी, जनप्रतिनिधियों एवं शासन स्तर से वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्रों का जवाब नहीं देते हैं, यह गंभीर अनियमितता है। सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जो भी पत्र लिखे जाते हैं उनमें बताई गई समस्याओं अथवा मांग के संबंध में तत्परता से कार्रवाई करें और की गई कार्रवाई के संबंध में संबंधित को पत्र लिखकर अवगत भी कराएं । कलेक्टर ने यह भी निर्देशित किया है कि जनप्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों से प्राप्त पत्रों पर की गई कार्रवाई को एक पोर्टल पर दर्ज किया जाए और उसकी समीक्षा भी प्रति सप्ताह हो, यह सुनिश्चित किया जाए।

सीएम हैल्पलाइन में लापरवाही पर मिलेगी सजा

कलेक्टर ने कहा कि हैल्पलाइन में प्राप्त शिकायतों के निराकरण में लापरवाही बरतने वाली अधिकारियों के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई की जायेगी। एल-1 पर बिना अटेण्ड हुए शिकायत एल-2 व एल-3 पर जाती है तो एल-1 अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी। जिन अधिकारियों के पास सीएम हैल्पलाइन की ज्यादा शिकायतें हैं उनकी मॉनीटरिंग अपर कलेक्टर करेंगे। सभी अपर कलेक्टरों को विभागवार जिम्मेदारी सौंपी गई है। कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में अंतरविभागीय समन्वय समिति की बैठक में शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के साथ-साथ सीएम हैल्पलाइन की भी विस्तार से समीक्षा की गई। जिन विभागों के पास 200 से अधिक शिकायतें लंबित हैं उन विभागों की शिकायतों के निराकरण के लिये अपर कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जीवाजी विश्वविद्यालय के पास 400 से अधिक शिकायतें लंबित पाए जाने पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखने के निर्देश भी कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दिए हैं। उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार को भी निर्देशित किया है कि एक सप्ताह में शिकायतों का निराकरण सुनिश्चित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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