इंदौर के स्वच्छता सर्वेक्षण में चौथी बार प्रथम आने के पीछे हैं इनका बड़ा हाथ, लगातार प्रयासों ने दिलाया खिताब

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे

2017 में जब इंदौर नम्बर 1 आया था तब तत्कालीन महापौर मालिनी गौड़ और तत्कालीन निगमायुक्त मनीष सिंह एक ऐसी प्लानिंग के साथ शहर को नम्बर 1 बनाने के लिए प्रयास कर रहे थे कि अब स्वच्छता इंदौर की पहली आदत बन चुका है। यही वजह है कि अब नम्बर 1 आने के लिए शहर पांचवी बार भी तैयार है।

इंदौर में स्वच्छता की आदत को हर नागरिक को पाठ पढ़ाने वाली तत्कालीन महापौर मालिनी गौड़ ने अंतिम कार्यकाल में भी जमकर प्रयास किये थे और इसी का परिणाम है कि इंदौर लगातार चौथी बार स्वच्छता सर्वेक्षण में नम्बर 1 पर काबिज है। इंदौर में फिलहाल, चुनाव न होने के चलते महापौर की बजाय प्रशासक जिम्मेदारी निभा रहे हो लेकिन आज भी लोग इंदौर से विधायक मालिनी गौड़ को स्वच्छता की प्रथम प्रहरी मानते है।

फिलहाल, विधायक मालिनी गौड़ महापौर के पद पर काबिज नही है, लेकिन वो मानती है कि इंदौर वासियों और सफाई मित्रो और निगम प्रशासन की मेहनत का ही फल है कि आज भी इंदौर नम्बर 1 है। उन्होंने बताया कि स्वच्छता अब इंदौर की आदत बन चुकी है और अपने कार्यकाल में उन्होंने इसके लिए अथक प्रयास किये है और इसी का परिणाम है कि शहर आज सीजनल बीमारियों से मुक्त है। हालांकि उन्होंने ये भी माना कि जब तक वो महापौर रही तब तक उन्होंने शहर के लिए खूब मेहनत की है, अब आगे क्या होगा इसके बारे में उनके मन में भी सवाल है।

इधर, शहरवासियो ने भी ने सफाई में लगे चौके पर खुशी जताते हुए माना कि हम पांचवी बार भी नम्बर 1 पर काबिज रहेंगे, क्योंकि सफाई मित्रो की मेहनत और शहर की जागरूकता के चलते जी इंदौर आज भी नम्बर वन है और आगे भी रहेगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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