इंदौर, आकाश धोलपुरे। बीते कई वर्षों की तुलना में साल 2021 में डेंगू (Dengue) ने अपना जो स्वरूप बदला है वो बेहद खतरनाक है और ये ही वजह है कि डेंगू के स्ट्रेन बदलने की चर्चा भी स्वास्थ्य जगत में जोरो पर है। मध्यप्रदेश (MP) के औद्योगिक शहर इंदौर (Indore) के हालात ये है कि यहां हर रोज डेंगू के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर वायरल फीवर ने भी मौसमी आतंक मचा रखा है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े विशेषज्ञ डॉक्टर्स बच्चों को डेंगू से बचाने के लिए विशेष सलाह भी दे रहे है।
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दरअसल, कोरोना के हॉटस्पॉट रह चुके इंदौर में जब से कोरोना की गति मंद पड़ी है तब से ही डेंगू के मरीजों की तादाद में इजाफा देखा जा रहा है। हालांकि सरकारी आंकड़े भले ही संख्या को कम बता रहे है लेकिन निजी अस्पतालों और क्लिनिक पर लगने वाली भीड़ ये बताने के लिए काफी है कि इंदौर में डेंगू का स्ट्रेन भले बदला हो या न हो लेकिन इस बार डेंगू के कॉम्प्लिकेशन पहले की ही तरह है। वहीं बड़ो के साथ ही बच्चो पर डेंगू कहर बरपा रहा है।

बीते कुछ वर्षों की तुलना में इस वर्ष डेंगू के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होने के बाद नगर निगम, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने लगातार डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए विशेष अभियान चलाने के साथ ही दवाइयों और क्रूड ऑयल का छिड़काव भी करवाया है बावजूद इसके डेंगू के मरीजों में फिलहाल, कोई कमी नजर नहीं आ रही है।
बता दे कि डेंगू के बढ़ते मरीजों की संख्या में बच्चे भी शामिल हैं अधिकतर बच्चों को वायरल फीवर हो रहा है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निर्भय मेहता की माने तो बच्चों में इस वर्ष डेंगू का असर ज्यादा देखने को मिला है। उन्होंने बताया कि हर रोज 400 मरीज वायरल की शिकायत लेकर आते है और उनमें से 90 प्रतिशत बच्चे वायरल के शिकार होते है वहीं फीवर के 30 प्रतिशत बच्चो में डेंगू के लक्षण पाए जाते है।
शिशु रोग विशेषज्ञ मानते है कि बढ़ती गर्मी के चलते हैं बच्चे हाफ आस्तीन के कपड़े पहनते हैं जिसकी वजह से मच्छर ज्यादा काटते हैं और बच्चे ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं। वही उन्होंने मौसम बदलने से भी डेंगू के मरीज ज्यादा देखने के लिए मिल रहे हैं। वहीं शिशु विशेषज्ञ डॉक्टर निर्भय मेहता ने बताया कि डेंगू से बचने के लिए बच्चों का खास ध्यान रखना चाहिए, छोटे बच्चों को फुल आस्तीन और मच्छरदानी सहित अन्य घरेलू उपाय किए जाने चाहिए ताकि डेंगू से बचाव हो सके। वहीं बुखार आने पर विशेषज्ञ डॉक्टर का उचित परामर्श लेना चाहिये। इन बातों का यदि माता-पिता ध्यान रखेंगे तो निश्चित ही उनके बच्चो को डेंगू से बचाया जा सकता है लिहाजा, सावधानी बरतने के साथ ही पेरेंट्स को सतर्क रहने की आवश्यकता इस समय है क्योंकि पहले की तुलना में इस साल डेंगू के मरीज काफी संख्या में बढ़े है।