मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश के बाद 1 फरवरी से सरकारी और निजी स्कूल खुल गए हैं और कक्षा 1 से 12 तक 50% उपस्थिति के साथ पढ़ाई शुरू हो गई है। 1 फरवरी से ही सरकार ने 15 से 18 वर्ष आयु तक के किशोरों को टीकाकरण का दूसरा डॉज लगने का कार्य शुरू कर दिया है। इंदौर में यह काम तेजी से चल रहा है। लेकिन कई स्कूलों में प्राचार्य और निजी स्कूल संचालक बच्चों का टीकाकरण करने में लापरवाही बरत रहे हैं।
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हम आपको बता दें कि प्रशासन की जांच में साफ हुआ है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों और निजी स्कूल के संचालकों की लापरवाही के चलते इस आयु वर्ग के बच्चों के टीकाकरण का काम प्रभावित हो रहा है। ऐसे में इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने सख्त निर्देश दिए हैं कि शासकीय स्कूल में टीकाकरण में लापरवाही पाए जाने पर वहां के प्राचार्य के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सीबीएसई और एमपी बोर्ड के निजी स्कूलों के संचालकों और प्राचार्य की निरीक्षण के दौरान लापरवाही पाए जाने पर धारा 144 दंड प्रक्रिया संहिता में आवश्यक वैधानिक कार्यवाही संपूर्ण जिले में मजिस्ट्रेट सुनिश्चित करेंगे।
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वैक्सीनेशन मे लापरवाही बरतने की बात प्रमाणित होने पर जेल की हवा तक खानी पड़ सकती है। कलेक्टर मनीष सिंह ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी सरकारी और निजी स्कूल के प्राचार्य को यह जानकारी होनी चाहिए कि छात्रों को प्रथम वैक्सीन कब लगा था और दूसरा वैक्सीन लगाये जाने की तिथि 28 दिन बाद किस दिनांक को रहेगी। इसके साथ ही वे सभी वैक्सीनेशन की सूची भी अपने पास रखेंगे।