इंदौर, आकाश धोलपुरे। एक तरफ नगरीय निकाय चुनाव की सरगर्मी जोरों पर है वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस प्रदेश में अपने पैर मजबूती से रखना चाहती है और इन्हीं राजनीतिक मायनों का परिणाम है कि अपने कार्यकाल के समाप्त होने के तकरीबन 8 से 10 माह पहले ही मध्य प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने अपने पद से इस्तीफा (State Women’s Commission President Shobha Ojha resigns) दे दिया। हालांकि, ओझा ने इस्तीफे का जो समय चुना है उसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पीसीसी में स्टार प्रचारकों की कमी है लिहाजा, कांग्रेस भी चाहती थी ओझा जल्द मैदानी स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी संभाले।
महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए शिवराज सरकार पर जमकर बरसी। उन्होंने आंकड़े रखते हुए बताया कि करीब ढाई साल पहले जब वो महिला आयोग की अध्यक्ष बनी थी तब 10 हजार मामले पेंडिंग थे जिनमें वो युद्ध स्तर पर कमी लाना चाहती थी लेकिन इसी बीच दोबारा शिवराज सरकार आ गई और एक तरह से आयोग पर राजनीतिक व कानूनी पेचीदगियों के रूप में उलझाकर शिकंजा कसा गया जिसका परिणाम ये है कि आज आयोग के पास 17 हजार लंबित मामले है। उन्होंने कहा कि एनसीआरबी रिपोर्ट पर देखी जाए तो हर साल महिला अपराधों में बढ़ोतरी हुई है, कोरोना काल में भी महिला अपहरण के मामले सामने आए हैं जो ये बताने के लिए काफी है कि राज्य में महिला आयोग को कार्य में अवरोध उत्पन्न किया जा रहा था।