इंदौर।
मध्य प्रदेश का मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर जिले में निजी अस्पताल की एक गैर जिम्मेदाराना खामी तब सामने आई जब एक स्कूल शिक्षक ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। निजी अस्पताल में उसे इलाज इसलिए नहीं मिल सका क्योंकि उसके पास कोरोना संक्रमित नहीं होने के प्रमाण नहीं थे। जिले के पलासिया क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा ये कहा कि वे एमवायएच से यह लिखवाकर आए की मरीज कोरोना पॉजिटिव नहीं है।
दरअसल जिले के ग्रीन पार्क कॉलोनी निवासी 55 वर्षीय मतीन सिद्दीकी को उनके परिवार वालों ने निमोनिया की शिकायत के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां इलाज के बाद उन्हें एमवायएच रेफर कर दिया गया था। मरीज के पुत्र इरबाज ने बताया कि जिला अस्पताल में पिता को भर्ती तो किया गया किंतु केंद्र और डॉक्टरों ने उन्हें देखा तक नहीं। जिसके बाद परिजन 55 वर्षीय मरीज को किसी निजी अस्पताल में लेकर जाना चाहते थे ताकि सही तरीके से उनका इलाज किया जा सके। किंतु कई अस्पताल भटकने के बाद भी मरीज को किसी ने बढ़ती नहीं किया। अंत में पलासिया क्षेत्र स्थित एक अस्पताल में डॉक्टर उन्हें इस शर्त पर भर्ती करने को तैयार हुए जब मरीज एमवायएच से यह लिखवा कर लेगा कि वह कोरोना संक्रमित नहीं है। जहां मरीज के कोरोना संक्रमित नहीं होने के प्रमाण ना होने की वजह से उन्हें निजी अस्पताल में शिफ्ट ने किया गया। जिसके बाद सोमवार की शाम मरीज ने दम तोड़ दिया। परिजन का आरोप है कि यदि सही वक़्त पर मरीज को इलाज मुहैया हो जाती तो उसकी जान बच सकती थी।