इंदौर, आकाश धोलपुरे। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के व्यापारियों के बीच आजकल लॉकडाउन (Lockdown) को लेकर ऐसे संदेश दे रहे है जो सरकार को हिला दे। मुंबई (Mumbai) के बोरीवली में व्यापरिक संगठन का कहना है कि कोरोना से मरेंगे कम, लॉकडाउन से मरेंगे हम। जी हां व्यापरियों का ये आक्रोश देश आर्थिक राजधानी मुंबई में है लेकिन मध्यप्रदेश (MP) की आर्थिक राजधानी (Indore) में तो कोरोना (Coronavirus) के नाम पर ऐसा कुछ हो रहा है कि अब सरकार (MP Government) पर सवाल उठना लाजिमी है।
यहां पहले तो निगमा की पीली गैंग आतंक मचाती है, जो अखबार खिलाफ लिखता उस पर कार्रवाई करती है। इसके बाद रही सही कसर मध्यप्रदेश पुलिस (MP Police) के होनहार नौजवान पुलिसकर्मी कर देते है और सीएम सहित गृहमंत्री देखते रह जाते है।दरअसल, इंदौर (Indore) की एक मार्मिक घटना का वीडियो (Video) सोशल मीडिया (Social Media) पर तेजी से वायरल (Viral) हो रहा है। जहां खाकी पर ऐसे दाग लगे है जो किसी भी एक्सेल से धोने से नही मिट सकते। घटना इंदौर के परदेशीपुरा थाना क्षेत्र की है।
यहां खाकी ने अपनी इज्जत को खाक में मिलाकर एक बेटे के रुदन के सामने उसके पिता की ऐसी पिटाई की जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan), गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा(Home Minister) और प्रदेश के डीजीपी (MP DGP) भी बर्दाश्त नही कर पाए, क्योंकि अगर उनके परिवार के साथ ऐसा होता तो वो क्या करते ये बड़ा सवाल है। खबर विचारों की नही बल्कि तथ्यों पर आधारित है जिसमे हमने स्वयं पीड़ित से बात की है और उसने बताया कि किस तरह से उसके साथ मारपीट की है वही पुलिस के आला अधिकारियों ने मास्क नही पहनने वाले के आपराधिक रिकॉर्ड निकालकर टेबल के नीचे अपना मुंह छिपाने की कोशिश की और दोनों पुलिसकर्मियों को बेदखल करने के बजाय उन्हें एसपी ऑफिस में अटैच कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।
दरअसल, घटना इंदौर के परदेशीपुरा थाना क्षेत्र के फिरोज गांधी नगर मालवा मिल चौराहे की है जहां कृष्णा कुंजिर नामक युवक की दो पुलिस जवान कमल प्रजापत और धर्मेंद्र जाट ने जमकर मारपीट की इस दौरान यश कुंजीर नामक मासूम बेटा पिता को न पीटने की गुहार लगाता रहा लेकिन पुलिस की गुंडागर्दी सरेराह जारी रही। वीडियो इतना दर्दनाक है कि खुद सीएम शिवराज इस सोच में पड़ गए होंगे कि क्या करूं ऐसे खाकी वर्दीधारियों का जिनमे मानवता नाम की चीज ही नही है।
इधर, पुलिस के आला अधिकारी खाकी पर लगें दाग को धोते नजर आ रहे है और उल्टा पीड़ित को स्मैक का नशाखोर बताते हुए उसके पुराने अपराधों का बचाव में इस्तेमाल कर रहे है। दरअसल, खाकी कितना ही बचाव इस मामले में कर ले लेकिन उसे ये पता नही की ये मानव अधिकारों का हनन है जो खुद कानून की तमाम धाराओं की जानकार है।
पुलिस की इस गुंडागर्दी और करतूत जो कि मास्क के ठीक ढंग से नही पहनने के कारण की गई है वो वाकई मध्यप्रदेश के लिए शर्मनाक है क्योंकि लोग अब इस वीडियो को देखकर कह रहे है कि इससे अच्छा उन्हें कोरोना हो जाये क्योंकि जब रक्षक ही भक्षक बन जाये तो आस किससे रखी जाए। वही आम जनता और विपक्ष में बैठी कांग्रेस खुलकर तो बीजेपी के नेता दबी जुबा में ऐसे पुलिसकर्मियों का विभाग से निकाला चाहती है और पीड़ित भी ये कह रहा है कि सुन लो सीएम साहब ऐसे लोगो को भर्ती ही मत करो जो चंद रुपयों को लूटने के लिए मानवता को शर्मसार कर रहा है वो भी ऐसे कठिन समय मे, काहे के सिंघम और काहे के दबंग।
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)