यशवंत क्लब में कल होगा मतदान ,एजीएम में हुआ फैसला

Gaurav Sharma
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इन्दौर डेस्क रिपोर्ट। चार साल से चली आ रही कार्यकारिणी के बाद अब नए सदस्य चुनने के लिए इंदौर के यशवंत क्लब में रविवार को मतदान होगा। क्लब की एनुअल जनरल मीटिंग में यह निर्णय लिया गया। एजीएम की बैठक केवल एक घंटे में समाप्त हो गई।

कोरोना की वजह से चार साल से चलते आ रहे यशवंत क्लब के चुनाव रविवार को होंगे। इस क्लब में लगभग 4500 सदस्य हैं जो अपनी नई कार्यकारिणी का चुनाव करेंगे। मतदान रविवार की सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा और रिजल्ट रात 9 से 10 के बीच में आने की उम्मीद है। इसके पहले लंबे समय से चलती आ रही क्लब की एनुअल जनरल मीटिंग शनिवार की शाम को हुई। इसकी अध्यक्षता अजय बगड़िया ने की। दरअसल इस समय क्लब में टोनी सचदेवा गुट और पम्मी छाबङा गुट हैं और पम्मी छावड़ा बागड़िया को इसका अध्यक्ष बनवाने में सफल रहे। एजीएम की बैठक में क्लब की सालाना रिपोर्ट पेश की गई। बैठक में यह भी बताया गया कि कोरोना के चलते क्लब के 93 सदस्यों का निधन हो गया है।

यशवंत क्लब

यशवंत क्लब 1934 में इंदौर के महाराजा सर तुकोजीराव तृतीय होलकर के आदेश पर अस्तित्व में आया था। प्रारंभ में क्लब रॉयल्टी, कुलीनता, अभिजात वर्ग और होलकर राज के अधिकारियों के लिए खोला गया था। बाद में इसके दरवाजे व्यापारिक, अभिजात वर्ग के लिए खोल दिए गए। महारानी उषा देवी क्लब की मुख्य संरक्षक हैं और मध्य प्रदेश के मानद मुख्यमंत्री क्लब के अध्यक्ष हैं। क्लब संगीत रातों, तंबोला, खेल, टूर्नामेंट और प्रदर्शनों का आयोजन करता है। टेनिस, स्क्वैश, बॉस्केटबॉल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस जैसी इनडोर और आउटडोर खेलों की सुविधाएं हैं। क्लब एक क्रिकेट मैदान, फुटबॉल, मैदान आधुनिक जिम और स्विमिंग पूल का रखरखाव करता है। गर्मी के दिनों में कोचिंग कैंपों का भी आयोजन किया जाता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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