कोरोना काल में स्वीकृत हुए भवन निर्माण संबंधित नक्शे, 1 हजार से ज्यादा नक्शे हुए पास

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। आज हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका एक खुद का घर हो, उस घर में वह अपने परिवार के साथ सुख चैन से रहें। लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जिन्हें आसानी से खुद का घर नसीब हो पाता है। इसकी वजह है कि नगर निगम से मिलने वाली अनुमति। जी हां भवन निर्माण के लिए आसानी से अनुमति नहीं मिलती है, भवन निर्माण करना है तो पहले नगर निगम से अनुमति लेना अति आवश्यक होता है, लेकिन यह अनुमति मिलना अब काफी जटिल हो गई है। भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराने में लोगों को परेशानी होती हैं, अप्रैल महीने में कोरोना के चलते जहां एक भी नक्शा पास नहीं हुओ तो वहीं मई महीने से लगातार भवन निर्माण संबंधित नक्शे स्वीकृत किए गए हैं।

बीते 5 माह में इतने नक्शे हुए पास

  1. मई में – 157
  2. जून में – 315
  3. जुलाई में – 284
  4. अगस्त में – 173

भवन निर्माण से पहले नगर निगम करता है नक्शा स्वीकृत

मकान बनाने के लिए व्यक्ति प्लाट तो खरीद लेता है, लेकिन उस पर जब मकान बनवाना शुरू किया जाता है, तो उसे यह पता नहीं होता कि मकान बनाना इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि उसे अपना घर बनाने से पहले नगर निगम से नक्शा पास करवाना अति आवश्यक होता है। नक्शा पास करवाने के लिए व्यक्ति नगर निगम के कई चक्कर भी लगाता है, क्योंकि मकान बनाने वाले व्यक्ति को एक डर भी सताया रहता है कि अगर बिना नक्शा पास किए मकान बनवा लिया गया तो नगर निगम उस पर गंभीर कार्रवाई कर सकती है। यही कारण है कि जो भी व्यक्ति मकान बनाने की प्रक्रिया शुरू करता है, वह सबसे पहले नक्शा पास करवाता है।

ऑनलाइन प्रक्रिया होने के बाद भी आसान नहीं नक्शा पास करवाना

जबलपुर शहर में करीब 50 प्रतिशत अभी भी ऐसे मकान बने हैं, जिनके नक्शे नगर निगम में पास नहीं हैं। ऐसे में नगर निगम लगातार ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी करता है जो कि बिना भवन निर्माण की अनुमति के अपना मकान बना लेते हैं। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि प्लाट तो खरीद लेते हैं और मकान बनवाने के लिए नगर निगम के भवन शाखा में आवेदन भी दे चुके हैं। वहीं आवेदन ऑनलाइन होने के बावजूद भी लोगों को नक्शा पास करवाने के लिए भटकना पड़ रहा है। जबलपुर के मनीष बताते हैं कि उन्होंने 800 स्कवार फीट का एक प्लाट खरीद रखा है और वह उस प्लाट पर अपना मकान भी बनाना चाहते हैं, लेकिन नगर निगम से नक्शा पास करवाने के लिए करीब 8 महीने पहले आवेदन भी दिया था। जो कि अभी तक अधर में ही अटका हुआ है। ऐसे में मनीष चाहकर भी अपने मकान का काम शुरू नहीं करवा पा रहे हैं।

30 दिन के अंदर निकाल ली जाती है प्लाट की जानकारी

नगर निगम इंजीनियर मनीष कुमार बताते हैं कि भवन निर्माण के लिए आवेदन करना बहुत ही आसान प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति को अपने भवन के लिए अप्लाई करना होता है। वह आसानी से भवन शाखा में आकर आवेदन दे सकता है और 30 दिन के भीतर ही उस व्यक्ति के प्लाट की पूरी जानकारी निकाली जाती है और अगर पाया जाता है कि उनके प्लाट में कहीं गलती है, तो उन्हें फिर आवेदन का मौका दिया जाता है। भवन निर्माण के लिए खतरा, डायवर्सन और नजूल की अनुमति होना आवश्यक है, जिस व्यक्ति को भवन निर्माण करना होता दस्तावेजों को नगर निगम के सामने समक्ष पेश करता है सब कुछ सही रहता है, तो उसे भवन निर्माण करने की अनुमति दी जाती है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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