जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (Jabalpur) में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन ( Remdesivir Injection) में लिप्त गुजरात पुलिस के हाथ आए 4 गुनाहगारों आये थे। जिन्होंने जबलपुर पुलिस के सामने अपना अपराध कबूल किया है। आरोपियों ने कबूला है कि सिटी अस्पताल जबलपुर को उन्होंने 500 नकली इंजेक्शन दिए। जबकि इंदौर और गुजरात में भी करीब 180 करोड़ के इंजेक्शनों की सप्लाई की है। जबलपुर एसआईटी (Jabalpur SIT) की पूछताछ में पता चला कि आरोपी सुनील मिश्रा यूपीएसी में असफल हुआ था। इसलिए उसने गुनाह की दुनिया में कदम रखा, जबकि पुनीत पर 50 लाख कर्जा था। दूसरी ओर कौशल को जल्दी करोड़पति बनना था। इसलिए तीनों ने आपदा में अवसर खोजा और गोरखधंधे को अंजाम दिया।
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गुजरात से लाए गए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के चारों गुनहगारों ने एसआईटी के सामने अपने जुर्म कबूल कर लिया है। ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से इंजेक्शन बेचने वाले रीवा निवासी सुनील मिश्रा ने बताया कि उसने दो बार में 1200 इंजेक्शन फार्मा कंपनी के संचालकों से खरीदे थे। 500 इंजेक्शन जबलपुर भेजे थे। वहीं, 700 इंजेक्शन उसने इंदौर में खपाए थे। एसआईटी ने चारों आरोपियों को 21 जून तक रिमांड पर ले रखा है।
यूपीएससी में सफल और कर्जें ने बन दिया गुनाहगार
गुजरात से लाए गए चार आरोपियों में से सुनील मिश्रा और पुनीत ने अपना जुर्म कबूलते एसआईटी को बताया कि वह इस काले कारोबार से दूर रहना चाहते थे। परंतु जल्द से जल्द करोड़पति बनने के लालच में इस दलदल में कूद गए, एसआईटी को सुनील मिश्रा ने बताया कि वह यूपीएससी में असफल हो गया था। इसकी तैयारी में काफी पैसा खर्च हुआ था। उसकी भरपाई के लिए वह इस धंधे में उतर आया, इसी तरह पुनीत पर 50 लाख का कर्जा है। उसे चुकाने के लिए वह नकली इंजेक्शन का व्यापार करने लगा। इसी तरह कौशल अफ्रीका सहित सरकारी कार्यालयों में काम कर चुका है। परंतु वहां के वेतन से नाखुश कौशल बहुत जल्द करोड़पति बनना चाहता था इसलिए उसने नकली इंजेक्शन के कारोबार को चुना।