अनाज भण्डारण व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट हुआ सख्त, केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार।   हर साल हजारों क्विंटल अनाज खुले में रखे होने के चलते खराब हो जाता है,लिहाजा भंडारण व्यवास्था को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, इस दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि पूर्व पारित आदेश के परिपालन में छह जिलों के कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट पेश की है, जबकि सरकार की तरफ से अन्य जिलों की रिपोर्ट पेश करने के लिए समय प्रदान करने का समय सरकार ने मांगा है।  हालांकि सरकार द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट रिकाॅर्ड में नहीं आने के कारण चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार को दस दिन की मोहलत प्रदान की है अब एक जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी।

खुले में रखे अनाज को लेकर अधिवक्ता गुलाब सिंह की तरफ से दायर याचिका में भंडारण क्षमता व संरक्षण की कमी तथा खाद्यान्न सड़ना बताया गया था।  याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला देते बताया गया कि भंडारण उचित तरीके से किया जाना चाहिए, इसके लिए आपदा प्रबंधन के तहत कानून सुनिश्चित किया जाना चाहिए।  लेकिन खुले में भंडारण और सही प्रबधंन न होने के चलते बड़ी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है।

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हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद केन्द्र व राज्य सरकार, भारतीय खाद्य निगम, मध्य प्रदेश वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, साथ ही हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि वे सर्वे करवाकर खुले में रखे खाद्यान्नों के संरक्षण के लिए तत्काल उचित कदम उठाएं।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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