आपको बता दें कि, एमपी पीएससी परीक्षा-2019, की मुख्य परीक्षा और प्रिलिम्स परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाले याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने समस्त परीक्षा परिणाम को याचिका के निर्णयाधीन करते हुए सरकार को आठ सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने न्यायालय को बताया कि, परीक्षा-2019 का विज्ञापन दिनांक 14/11/2019 को मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग जारी किया गया था उस समय जो नियम थे उन्ही नियमों के अनुसार मुख्य परीक्षा और प्रिलिम्स परीक्षा के परिणाम घोषित करने चाहिए था लेकिन लोक सेवा आयोग द्वारा ऐसा नही किया गया।
यह भी पढ़े…MP Board : 12वीं के छात्रों के लिए बड़ी खबर, आवेदन में संशोधन पर आई अपडेट
सरकार द्वारा परीक्षा नियमो में 17 फरवरी 2020 को नियमो में संशोधन कर दिया और असंवैधानिक नियम बना दिया इसी असंवैधानिक नियमों को चुनौती देते हुए प्रदेश के हजारों छात्रों द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है इन विचाराधीन याचिकाओं के कारण सरकार द्वारा अपने 17 फरवरी 2020 वाले नियमो संशोधन को वापस लेते हुए पूर्ववत स्थिति में लाने के लिए पुनः दिनांक 20 दिसंबर 2021 को नियमों में संशोधन किया पीएससी परीक्षा-2019 के मुख्य परीक्षा के परिणाम दिनांक 31 दिसंबर-2021 को जारी किया गया लेकिन उसके परिणाम में 17 फरवरी 2020 वाले असंवैधानिक नियमों को लागू किया गया है इसी के विरोध में पुनः याचिका दाखिल हुआ है 17 फरवरी 2020 वाले नियमो के तहत आरक्षित वर्ग के प्रत्याशी के उच्चतम अंक होने पर भी अनारक्षित पद पर चयनित नहीं किया जा सकता है। इस तरह से कम्युनल रिजर्वेशन लागू किया गया है।
यह भी पढ़े…मुरैना : अस्पताल प्रशासन के सारे वादे खोखले, प्रसूताओं को फटे गद्दे व बिना कंबल के वार्ड में भर्ती रहने को हैं मजबूर
सुप्रीम कोर्ट के अनेक निर्णयों में निर्धारित किया गया है कि, कम्युनल रिजर्वेशन लागू नहीं किया जा सकता है। खेल का नियम यह होता है कि खेल शुरू करने के बाद नहीं बदले जा सकते हैं। परीक्षा की अधिसूचना जारी करने के बाद परीक्षा नियमों में बदलाव को न्यायालय ने गंभीर अनियमितता के लिए सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब ।