जबलपुर, संदीप कुमार। निगमायुक्त (Municipal Corporation) ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिससे पूरे नगर निगम में हड़कप मच गया। दरअसल नगर निगम आयुक्त (Municipal corporation commissioner) संदीप जीआर ने एक आदेश जारी किया है जिसमें लिखा गया है कि अब सभी अधिकारी जनता के हित के लिए सैनेटाईजर, अन्य कार्य या विभाग के लिए एक कील से लेकर शासकीय कार्य के लिए लिफाफा भी खरीदते है और उसके लिए एक रूपये भी अगर खर्च होते है तो उसके लिए निगम के अधिकारियों को आयुक्त से अनुमति लेना होगा, कमिश्नर (Commissioner) के इस आदेश के बाद से अधिकारियों में हड़कप मच गया है, इस आदेश के बाद अब निगम के अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी पॉवरलेस हो गए हैं, जो शहर विकास के लिए खर्च होने वाली राशि को खुद से स्वीकृत नहीं कर पाएंगे, जबकि अपर आयुक्त स्तर पर अधिकारियों को 2 लाख रूपये तक खर्च करने के अधिकार पहले थे, लेकिन अब आयुक्त के नए आदेश के बाद से यह सभी अधिकार अपर आयुक्त स्तर के अधिकारियों से छीन लिए गए हैं।
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गौरतलब है कि कोरोना महामारी (Corona epidemic) जैसी आपदा में अब रु की बरबादी न हो इसके लिए निगम कमिश्नर ने यह कदम उठाया है हालांकि कमिश्नर के इस आदेश के बाद निगम में चर्चा है कि कोरोना काल मे निगम आयुक्त को सभी अधिकारियों को पॉवरफुल बनाना चाहिए, ताकि वह शहर की जनता के लिए इस वैश्विक अपदा के दौरान वह बेहतर रूप से काम कर सकें और उनके सामने पैसों की स्वीकृति की कोई समस्या न हों, लेकिन इस वैश्विक अपदा के दौरान खुद के पास सभी प्रकार के वित्तीय अधिकार रख लेने की बात समझ से परे हैं, जिससे उनकी कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह अंकित होता नजर आ रहा।
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नगर निगम आयुक्त संदीप जीआर ने 19 अप्रैल को एक आदेश जारी करके सभी वित्तीय अधिकार अपने पास रख लिए हैं,इस संबंध में उन्होंने आदेश जारी करते हुए बताया है कि मध्य प्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 69/4 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपर आयुक्तों को प्रशासकीय वित्तीय एवं भुगतान की स्वीकृति जारी करने के लिए आयुक्त के अधिकार प्रत्यायोजित किये गये थे। उपरोक्त अधिकारियों को प्रत्यायोजित अधिकार आगामी आदेश तक निरस्त किये जाते है, समस्त कार्यो की नस्तियों अपर आयुक्तों के माध्यम से समक्ष में स्वीकृति के लिए आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी इसके साथ ही अपर आयुक्त, वित्त के समक्ष पूर्व की स्वीकृत नस्तियां प्रस्तुत की जाती है, तो उक्त स्वीकृत प्रकरणों की नस्तियों अपर आयुक्त वित्तद्ध समक्ष में प्रस्तुत करेंगे।