पिछले चौबिस घंटे से हो रही बारिश ने किया इस जिले को तरबतर, नदिया नाले आए उफान पर

Gaurav Sharma
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झाबुआ, विजय शर्मा

मौसम विभाग द्वारा अधिक बारिश को लेकर जारी किए गए हाई अलर्ट में जिले भर में बीते 24 घंटे से लगातार बारिश हो रही है, जिसके चलते सारी नदी नाले उफान रक आ गए है।पिछले दो दिनो से हो रही तेज बारिश ने सारे रिकार्ड तोड दिये है। वही लगातार भारी बारिश के चलते कई नदियां भी उफान पर आ चुकी है। इसी के साथ ही छोटे छोटे गांवो में तेज बारिश के कारण पुलिया डूब चुकी है, जिससे की गांवा से संपर्क भी टूट रहा है।

झाबुआ में अनास नदी पर बने बांध बामनसेमलिया के दो गेट खोलना पड़ गए, वहीं शहर से लगे डूंगराधन्ना जाने वाले रोड पर बनी पुलिया पर पानी आ जाने से रास्ता बंद हो गया है। वही जिले के टेमरिया से रतलाम जाने वाले मार्ग की पुलिया पर पानी आने से रतलाम की ओर जाने वाला मार्ग बंद हो गया है। माही नदी पर बने बांध में लगातार बारिश से उसका जल स्तर बड रहा है। तेज बारिश के चलते कई नदियो ने विकराल रूप धारण कर लिया है।

वही राज्यो की सिमाओ के बिच में आने वाले पुलियो पर तेज बारिश से आवागमन में परेशानियां हो रही है। वही इसे देखते हुये आवागमन भी बंद हो चुका है। जिसके कारण मप्र ओर राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की ओर जाने वाले सभी रास्ते करीब करीब बंद हो चुके है। जिले भर में तेज बारिश एवं तेज हवाओ के कारण कई ईलाको में तो बिजली के खंबे तक गिर चुके है। जिससे की विद्युत प्रदाय प्रभावित हो रहा है। वही दुरसंचार की कई लाईन भी बंद हो चुकी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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