जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव ने एमपीपीएससी 2019 रिज़ल्ट की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले मामले से खुद को किया अलग

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MADHYA PRADESH HIGH COURT

जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई का मामला एमपीपीएससी 2019 रिज़ल्ट की संवैधानिकता को चुनौती देने का मामला एक बार फिर से कानूनी अड़चन में फंस गया है। कोर्ट के असंवैधानिक नियम वापस लेने वाले फैसले के बाद एमपीपीएससी 2019 का रिजल्ट वापस से उसी नियमों के तहत जारी कर दिए गए। इसलिए छात्रों ने फिर से एक बार कोर्ट की शरण ले ली है।

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लेकिन इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। दरअसल इस मामले में सुनवाई कर रहे बेंच के जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया है। इस सुनवाई के महाधिवक्ता प्रकरण में बहस करने के कारण खुद को अलग कर लिया है। अब चीफ़ जस्टिस के साथ किसी अन्य जज की बैंच में इस मामले की सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने दुबारा परिणाम जारी होने के बाद 11 दिन का समय दिया था जोकि पूरा हो चूका है। अब इसकी तय सुनवाई 10 फ़रवरी 2022 को होगी। इस सुनवाई में राज्य सरकार और एमपीपीएससी को जवाब देना है।

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यह मसला अनारक्षित सीट में आरक्षित वर्ग के छात्रों की नियुक्ति का है। जिसके कारण 2 साल से यह परिणाम आधार में लटका हुआ है। और किसी को नहीं पता की यह मामला कब तक सुलझ जायेगा। दरअसल मध्य प्रदेश पीएससी 2019 की परीक्षा के लिए नवंबर 2019 में विज्ञापन जारी हुए थे। जनवरी 2020 में परीक्षा लेने के बाद फरवरी 2020 में सरकार ने अचानक से आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 113% कर दी एवं अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के मेधावी प्रतिभागियों को मेरिट का लाभ दे दिया। हाईकोर्ट ने इसे नियम विरुद्ध मानते हुए एमपीपीएससी 2019 के परिणाम पर रोक लगा दी। 20 दिसम्बर 2021 को इस नियम को निरस्त करने के बाद हाईकोर्ट ने परिणाम जारी करने की अनुमति दी थी।


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Ram Govind Kabiriya

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