बेटियां बन चुकी मां, फिर भी नहीं मिली कन्यादान योजना की राशि

Gaurav Sharma
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खंडवा, सुशील विधाणी। गरीब परिवार की बेटियों की शादी के लिए राज्य सरकार की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत विवाह में बंधने वाले जोड़ों को मध्य प्रदेश में सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का पैसा नहीं मिला है। कमलनाथ सरकार ने इसकी राशि 51 हज़ार रुपए कर दी थी, लेकिन  ख़ज़ाना खाली होने के कारण वो किसी को भी इसका पैसा नहीं दे पायी।

बेटियां बन चुकी मां, फिर भी नहीं मिली कन्यादान योजना की राशि

दरअसल, प्रदेश सरकार बजट की कमी से जूझ रही है, ये हाल है कि उसके पास मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना के लिए भी पैसा नहीं है। प्रदेश में शादियां तो हो हो गई बच्चे भी पैदा हो गए लेकिन भांजिओं को पैसा नहीं दिया गया। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले से ऐसे कई मामले सामने आ रहे है, जिसमें शासन की ओर से दिए जाने वाली राशि अब तक हितग्राहियों को नहीं मिली है। विवाह होने के काफी लंबे समय बाद भी शासन द्वारा दी जाने वाली राशि अभी तक नहीं प्राप्त हुई है। कई महिलाएं अब मां बन चुकी है लेकिन विभागों के चक्कर काटते हुए थक गए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार भी लगा रही हैं कि विवाह सहायता राशि जो दी जाने वाली है उसे जल्द से जल्द दिलवाया जाए। इसी को लेकर खंडवा कलेक्टर कार्यालय में कई समाज की महिलाएं पहुंची। विवाह के समय परिवार वालों ने हजारों रुपए खर्च कर दिए लेकिन अभी तक शासन द्वारा दी जाने वाली राशि नहीं मिल पाई। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को विवाह/निकाह के बाद गृहस्थी बसाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से मिलने वाली राशि को पाने के लिए अब भी जिले के सैकड़ों हितग्राही भटक रहे हैं। इनमें से कई बेटियां तो ऐसी भी सामने आई हैं, जो निकाह/विवाह के बाद मां भी बन चुकी, लेकिन सरकार की आर्थिक सहायता अब तक उन्हें नसीब नहीं हो पाई है।

करीब दो साल से योजना की राशि पाने जनपदों और नगरीय निकायों के चक्कर काट रहे लोग मांधाता उपचुनाव से पहले उनके पास पहुंचने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं से भी सवाल करने लगे हैं कि आखिर रकम उन्हें कब मिलेगी। जिसका कार्यकर्ता कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। इधर सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों की माने तो इस मद में फंड नहीं होने के कारण भुगतान अटका हुआ है। फंड जारी करने को लेकर विभाग ने फिर सरकार को पत्र लिखा है।

इन जोड़ों ने भी अपने जिलों में अर्जी देकर राशि की मांग की है। उनका तर्क है कि कोरोना संकट में सब चौपट हो गया है। ऐसे में राशि मिल जाए तो रोजगार शुरू करने या ग्रहस्थी चलाने में मदद मिलेगी। इसे लेकर पिछले महीनों में कई जिलों के कलेक्टरों ने सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखे हैं। बता दें कि कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आते ही कन्यादान विवाह औऱ निकाह योजना की राशि 51हजार रुपए कर दी थी, लेकिन आज तक एक भी विवाहित जोड़े को 51हजार रुपए नहीं मिले है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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