मान्धाता और नेपानगर में सजा वादों और दावों का दरबार, उम्मीदवारों की असली परीक्षा बाकी

Gaurav Sharma
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नगरीय निकाय चुनाव

खण्डवा, सुशील विधाणी । मध्यप्रदेश में ऐतिहासिक सत्ता पलट के हाई लेवल ड्रामे के बाद सत्तानशी भाजपा और गद्दी से बेदखल कर दी गई कांग्रेस अब हो रहे उप चुनाव में एक दूसरे से हिसाब – किताब बराबर करने के लिए कमर कसकर तैयार दिखाई दे रही हैं । भाजपा के सामने सत्ता बचाने की तो कांग्रेस के सामने सत्ता में वापसी की कड़ी चुनौती है । प्रदेश के इस उप चुनावी महासंग्राम में निमाड़ की दो सीटें निर्णायक भूमिका अदा करने वाली साबित होंगी । ये हैं खण्डवा जिले की अनारक्षित मान्धाता और पड़ोसी जिले बुरहानपुर की अजजा नेपानगर। बीते चुनाव में इन दोनों सीटों को कांग्रेस ने भाजपा के हाथों से छीन लिया था । इन सीटों पर कांग्रेसी परचम लहराने से जहां एक ओर कांग्रेस खेमे में बल्ले – बल्ले हो रही थी, वहीं भाजपा की नींद उड़ गई थी । प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस गद्दीनशी हो गई थी । प्रदेश में 15 माह बाद हुए हाई लेबल सियासी ड्रामे के नतीजे में पाला बदल कर पहले थोक बंद और बाद में एक – एक कर कांग्रेस विधायकों ने न केवल विधायकी छोड़ी बल्कि कांग्रेस को भी गुड बॉय कह दिया। चला चली इस बेला में मान्धाता से नारायण पटेल और नेपानगर से सुमित्रा कासडेकर ने भी विधायक पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया । इसके बाद उपजे सियासी घटनाक्रम के बाद उप चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है ।

मान्धाता और नेपानगर से भाजपा ने क्रमशः नारायण पटेल और सुमित्रा कासडेकर को चुनावी महासंग्राम में उतार दिया है । इनके सामने कांग्रेस ने मान्धाता से उत्तमपाल सिंह तो नेपानगर से राम किसन पटेल पर दांव खेला है । मान्धाता और नेपानगर में बीते दिनों भाजपा के प्रदेश में सबसे बड़े स्टार प्रचारक और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने बड़ी व अहम सभाओं में सौगातों की बारिश की । भाजपा के नारायण पटेल और सुमित्रा कासडे कर ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया । कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए गए उत्तम पाल सिंह और राम किशन पटेल भी गांव – गांव पहुंचने लगे हैं । भाजपा – कांग्रेस दोनों दल चुनावी रननीति बनाने और उसे अमली जामा पहनाने में कमर कस कर जुट गए हैं । दोनों ओर से दावों व वादों का दरबार सजने लगा है मगर उम्मीदवारों की असली परीक्षा बाकी है ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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