खंडवा, सुशील विधानी। कोरोना ने हर वर्ग की आर्थिक कमर भी तोड़ कर रख दी है। लोग तंगहाली में आपा भी खो रहे हैं। अपराध भी हो रहे हैं। लेकिन धैर्य और संयम रखकर इमानदारी की लकीर पर चलने वालों का ईमान भी शहर में बरकरार है। सरफा बाजार स्थित फुटपाथ पर सब्जी बेचकर गुजारा करने वाली सेवंती बाई ने इसी तरह की मिसाल पेश की है। उन्होंने खालवा के पास मोहनिया भाम से आए से खरीदी करने आए चंदर सिंह राजपूत और उनकी पुत्री ज्योति को नोटों से भरा बैग लौटाया।
चंदर सिंह अपने घर में होने वाले गंगा पूजन के लिए जेवर व सामान खरीदने सर्राफा बाजार आए थे। इन्होंने सेवंती बाई की दुकान पर बैग रख दिया। वह चाय पीने लगे और बिना बैग लिए सर्राफा बाजार में एक दुकान पर चांदी के जेवर देखने लगे। जब पैसे देने की बारी आई तो बैग का ख्याल आया, बैग गायब था। साधारण कृषक चंदर सिंह की हालत खराब हो गई। सराफा व्यवसायी दिनेश पालीवाल व वह बैग ढूंढने निकले तो सब्जी बेचने वाली सेवंती बाई ने आवाज लगाई कि क्या ढूंढ रहे हो। बुलाकर उन्हें बैग लौटा दिया।
चंदरसिंह ने सेवंती बाई को बताया कि इसमें लगभग 40 हजार और मोबाइल थे। सेवंती बाई ने कहा कि मुझे नहीं मालूम। आपका बैग खोलकर भी नहीं देखा। मेरे सब्जी के ठेले के पास ही एक खाली ठेला खड़ा था जिस पर बैग रखा हुआ था उसे उठा कर मैंने अपनी दुकान पर रख लिया। चंदर सिंह ने बैग खोला तो उसमें सारी अमानत जस की तस रखी थी।
खंडवा। कोरोना ने हर वर्ग की आर्थिक कमर भी तोड़ कर रख दी है। लोग तंगहाली में आपा भी खो रहे हैं। अपराध भी हो रहे हैं। लेकिन धैर्य और संयम रखकर इमानदारी की लकीर पर चलने वालों का ईमान भी शहर में बरकरार है।
समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि सरफा बाजार स्थित फुटपाथ पर सब्जी बेचकर गुजारा करने वाली सेवंती बाई ने इसी तरह की मिसाल पेश की है।
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उन्होंने खालवा के पास मोहनिया भाम से आए से खरीदी करने आए चंदर सिंह राजपूत और उनकी पत्नी दुर्गाबाई और भतीजी ज्योति को नोटों से भरा बैग लौटाया। चंदर सिंह अपनी पुत्री के विवाह के लिए जेवर व सामान खरीदने सर्राफा बाजार आए थे। इन्होंने सेवंती बाई की दुकान पर बैग रख दिया। वह चाय पीने लगे और बिना बैग लिए सर्राफा बाजार में एक दुकान पर चांदी के जेवर देखने लगे। जब पैसे देने की बारी आई तो बैग का ख्याल आया, बैग गायब था। साधारण कृषक चंदर सिंह की हालत खराब हो गई। वह बैग ढूंढने निकले तो सेवंती बाई ने पहचान लिया। आवाज देकर उन्हें बैग लौटा दिया।
चंदरसिंह ने सेवंती बाई को बताया कि इसमें 40 हजार और मोबाइल थे। सेवंती बाई ने कहा कि मुझे नहीं मालूम। आपका बैग खोलकर भी नहीं देखा। चंदर सिंह ने बैग खोला तो उसमें सारी अमानत जस की तस रखी थी। चंदरसिंह की पत्नी दुर्गाबाई ने सेवंती बाई को इनाम स्वरूप कुछ रूपए देना चाहे तो सेवंती बाई ने बोला कि आपके रूपए नहीं चाहिए, आपकी अमानत आपको लौटा दी यही मेरा इनाम है।
समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि आपको बता दें कि कोरोना काल में तंगहाली और पैसे की किल्लत इतनी अधिक बढ़ गई है कि 2 दिन पहले ही इसी खंडवा में सिर्फ 900 रूपए के लिए एक दुकानदार का गला रेत दिया गया था। पिछले दिनों पेट्रोल पंप पर लूट कर दी गई। घूमने निकली दंपत्ति की चैन और अंगूठी सरेआम छीन ली गई थी। लेकिन सेवंती बाई ने इन सारे मामलों से खंडवा पर लगा दाग धो दिया है और ईमानदारी की एक ऐसी मिशाल पैदा की जिसकी सभी तारीफ कर रहे हैं।
चंदरसिंह ने बैग लेकर सेवंती बाई के दोनों पैर छू लिए, और कहा कि यदि यह रकम नहीं मिलती तो उत्साह से हम गंगा पूजन कार्यक्रम नहीं कर पाते। दिनेश पालीवाल, प्रेमांशु जैन, चंद्रकांत सांड ने सेवंती बाई कनाड़े की ईमानदारी के लिए स्वागत करते हुए धन्यवाद दिया।