Khargone News : 9वीं कक्षा का छात्र स्कूल से लापता, चार दिन बाद भी नही लौटा, जानें पूरा मामला

Amit Sengar
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Ujjain News

Khargone Missing News : आज के दौर में 10 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे तुनक मिजाज के होते जा रहे हैं। उन्हें अच्छे-बुरे का ख्याल नहीं होता है। घर वालों की छोटी सी बात उन्हें इतनी बुरी लगने लगती है कि वे घर छोड़ने पर उतारू हो जाते हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला खरगोन जिले के बड़वाह की नूतनमांटेसरी स्कूल के 9 वीं कक्षा के छात्र का है जिसको मोबाइल ना मिलने पर उसने घर छोड़ने का फैसला ले लिया। और वापस लौटकर घर अब तक नहीं आया है।

यह है मामला

बता दें कि 9 कक्षा का छात्र प्रकाश शर्मा उम्र 14 वर्ष जो नगर की नूतन स्कूल में अध्ययनरत है। 10 दिसम्बर को एग्जाम के लिए घर से निकलने से पहले प्रकाश ने अपनी माँ से कहा की मुझे मोबाइल दे दीजिये, स्कूल में ले जाना है। मगर बड़े भाई नीलेश और माँ ने मोबाइल देने से यह कहकर मना कर दिया मोबाइल में लेकर स्कूल आ जाऊँगी, इतनी बात प्रकाश को बहुत बुरी लगी कि वह घर से बिना खाना खाएं ही गुस्से से 11 बजे ही निकल गया। अपने घर के सारे काम करने के बाद करीब 12 बजे माँ जब स्कूल पहुंची, तो पता चला कि प्रकाश स्कूल ही नही पहुंचा, जिसे सुनकर माँ के पैरों तले ज़मीन निकल गई। हाल ही इस बात की सूचना अपने पति राजेश शर्मा जो कि पीडब्ल्युडी में भृत्य के पद पर कार्यरत है उन्हें दी, पिता राजेश ने अपने परिचित और रिश्तेदारों से पूछताछ की मगर प्रकाश का कोई भी पता नहीं चला,आखिर 11 दिसम्बर को राजेश शर्मा ने बड़वाह थाना में शिकायत दर्ज कराई जिसमे उन्होंने किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा प्रकाश को बहला फुसलाकर ले जाने की बात कही गई है।

दिन-रात खोजने बाद भी नही मिला कोई सुराग

प्रकाश के जाने के बाद पूरा परिवार परेशान है माँ का तो रो-रोकर बुरा हाल है। उनकी आंखें हर पल दरवाजे की और टकटकी लगाए देखती रहती है कि उनकी आँखों का लाल जल्द से जल्द घर लौट आए। परिवार का हर सदस्य उसे खोजने में दिन-रात एक कर रहा है मगर चार दिन बीत जाने के बाद भी प्रकाश का कोई भी सुराग नही मिल पाया है।

गुस्से का तेज था प्रकाश

पिता राजेश ने बताया की उनके दो बेटे है बड़ा बेटा नीलेश शर्मा 18 साल और छोटा बेटा प्रकाश पढ़ाई में तेज होने के साथ-साथ गुस्से का भी तेज था। छोटी सी बात पर गुस्सा हो जाया करता था उसके बाद उसे मनाना भी मुश्किल होता था। प्रकाश माँ के ज्यादा करीब होने के साथ भगवान में भी काफी आस्था रखता था मंदिर रोजाना जाता था। राजेश ने बताया पहले वह पात्रगुरुकुल स्कूल में था। 2 वर्ष पहले ही नूतन स्कूल में एडमिशन करवाया था। यहाँ राजेश ने एक बात और जोड़ते हुए कहा कि काश स्कूल प्रबंधन की और से हमे मोबाइल ले जाने की कोई सूचना मिल गई होती तो शायद प्रकाश आज हमारे साथ होता।

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स्कूल में मोबाइल मंगाया गया था ई-केवाईसी करने के लिए

इस बारे में जब नूतन स्कूल की प्राचार्य शैल जैन से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चो की स्कॉलरशिप के लिए ई-केवाईसी करना जरूरी थी। इस वजह से बच्चो को मोबाइल लाने के लिए कहा गया था। चूँकि 9 क्लास के बच्चे है, जो खुद समझदार होते इस वजह से पालकों को मोबाइल के बारे में सूचित नही किया गया।
खरगोन से बाबूलाल सारंग की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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