लाडली बहना योजना : एकता कपूर के सीरियल की थीम बदल कर रख देगी मुख्यमंत्री की यह योजना

Gaurav Sharma
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CM SHIVRAJ ON LADLI BAHNA YOJNA : मध्य प्रदेश की सरकार जून महीने से एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं के खाते में 1000 रू प्रति माह डालने जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद बनाई गई इस योजना से न केवल निम्न वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि सामाजिक ताना-बाना सुधारने में भी ये योजना मील का पत्थर साबित होगी,ये मुख्यमंत्री का दावा है।

सामाजिक संरचना बदलेगी यह योजना

विश्व में सबसे लंबे समय तक चलने वाले इस सीरियल ने देशभर के कई परिवारों की जिंदगी पर भी अच्छा खासा प्रभाव डाला।यह सीरियल अमीर गुजराती वीरानी परिवार पर केंद्रित था जहां तीन बहुएं, सविता, दक्ष और गायत्री, पूरे परिवार को नियंत्रित करती थी और अपनी बुद्धिमान और दयालु सास अंबा के लिए परेशानी खड़ी करती थी।सास और बहू के बीच खटास के कई हिस्से इस सीरियल से प्रेरित थे, यही माना जाता है। लेकिन अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दावा है कि उनका एक प्रयास सीरियल की थीम बदल देगा और सामाजिक संरचना में अच्छा खासा बदलाव लाएगा।

आश्रित नहीं स्वावलंबी बनेंगी बहनें 

दरअसल मुख्यमंत्री. शिवराज सिंह चौहान ने एक नई योजना लाडली बहना लागू की है। इस योजना के फॉर्म भरने शुरू हो गए हैं और अप्रैल की 30 तारीख तक फॉर्म भरे जा सकेंगे। मई में फॉर्म जांच किए जाएंगे और उसके बाद मुख्यमंत्री का दावा है कि 10 जून से महिलाओं के खाते में 1000 रु प्रति माह आना शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री का दावा है कि इस योजना से एक से डेढ़ करोड़ महिलाएं लाभान्वित होगी और सरकार पर इसका कुल 12 से 18000 करोड रुपए सालाना खर्च आएगा। सीएम का कहना है कि इस योजना से महिलाओं को अपने छोटे मोटे खर्चे लाने के लिए किसी का मुंह नहीं ताकना होगा और परिवार के लिए भी आवश्यक चीजें खरीद सकेंगी। इतना ही नहीं, गाहे-बगाहे जरूरत पड़ने पर इस राशि का उपयोग भी कर सकेंगीं। इससे हटकर मुख्यमंत्री का यह भी मानना है कि सामाजिक सद्भाव बढ़ाने में भी यह योजना मील का पत्थर साबित होगी। उनका कहना है कि एक परिवार में यदि एक या दो बहुए है और उन्हें इस योजना के तहत. 1000 रु प्रति माह मिलता है तो अब तक आश्रित कहीं जाने वाली बहू स्वाबलंबी होगी और वृद्धावस्था की दहलीज पर खड़ी हुई उसकी सास को भी सामाजिक पेंशन के 1000 रु मिलेंगे। यानि सास और बहू दोनों अच्छा खासा पैसा हर माह कमायेगीं। ऐसी स्थिति में खटास भरे रिश्तो में मिठास आएगी।खुद शिवराज अपने भाषण में इस बात का जिक्र करते हैं कि योजना का पैसा आने के बाद ऐसी स्थिति में सास सोचेगी कि वह बहू की रोटी में घी लगा दे और बहू को भी लगेगा कि माता जी के पैर दबा दे।

गांव गांव में उत्साह

इस योजना का रिस्पांस इस कदर है कि शहर से लेकर गांव तक इस योजना को लेकर महिलाओं में अच्छा खासा उत्साह है और शिवराज का मानना है कि लाडली लक्ष्मी की तरह एक बार फिर यह योजना सामाजिक बदलाव लाने के लिए गेम चेंजर साबित होगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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