डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा “धीरेंद्र शास्त्री से ज्यादा मैं सनातनी”

Gaurav Sharma
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Bageshwar Baba Controversy : नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने एक बार फिर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि यदि शास्त्री वास्तव में चमत्कारी हैं तो फिर प्रदेश का कर्जा माफ करें। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यदि धीरेंद्र शास्त्री वास्तव में चमत्कारी है तो वे अपना बोरिया बिस्तर बांध के नागपुर से क्यों भाग आये।

नागपुर में मिली बागेश्वर बाबा को चुनौती

पूरे देश में इस समय मीडिया में चर्चा का विषय केवल और केवल छतरपुर के पास का बागेश्वर धाम है और उसके आचार्य धीरेंद्र शास्त्री। दरअसल कुछ दिन पहले नागपुर में अपने प्रवचन के दौरान धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती दी गई थी कि यदि वे चमत्कारी है तो अपने चमत्कार सिद्ध करें वरना उनके खिलाफ अंधविश्वास उन्मूलन समिति द्वारा कार्यवाही की जाएगी। ऐसे में धीरेंद्र शास्त्री अपना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम दो दिन पहले छोड़कर जब वापस आ गए तो यह प्रचारित किया गया कि वह समिति के दबाव के चलते नागपुर छोड़ आए।

धीरेन्द्र शास्त्री से ज्यादा मैं सनातनी : गोविंद सिंह

लेकिन अब शास्त्री नागपुर में रायपुर मे कथा वाचन कर रहे हैं और लगातार मीडिया के माध्यम से उन लोगों के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं जो उन पर अंधविश्वास और जादू टोने जैसी चीजें फैलाने का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने एक बार फिर धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि यदि बाबा वास्तव में चमत्कारी हैं तो फिर नागपुर में अंधविश्वास उन्मूलन समिति के दबाव में क्यों अपना टीन टप्पर छोड़कर भाग आए। अगर सच में उनमें शक्ति थी तो वह अपना विरोध करने वाले उस व्यक्ति को भस्म कर देते।इतना ही नहीं डॉक्टर गोविंद सिंह ने यह भी कहा कि यदि धीरेंद्र शास्त्री सच में चमत्कारी है तो प्रदेश का कर्जा माफ कर दें। डॉक्टर गोविंद सिंह ने यह भी कहा कि वे धीरेंद्र शास्त्री की तुलना में ज्यादा सनातनी है क्योंकि वह बचपन से ही विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते रहे हैं। कई ऐसे व्यक्ति हैं जो बागेश्वर धाम के बाबा की तुलना में ज्यादा सनातनी है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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