जबलपुर, संदीप कुमार। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) द्वारा प्रदेश स्तर पर वीडियो क्रॉन्फेंसिंग के जरिए विद्यार्थी संवाद (Vidyarthi Samwad) का कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यार्थी संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने जबलपुर (Jabalpur) कलेक्ट्रेट स्थित वीसी रूम में मौजूद पंडित लज्जाशंकर झा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मॉडल स्कूल की कक्षा 11 वीं की छात्रा मान्या से भी बात की। इस दौरान उन्होंने छात्रा से 10वीं में आए अच्छे परिणाम को लेकर बधाई दी और भविष्य में उसकी एरोस्पेस में जाने की रूचि को सराहा। इस वीडियो क्रॉन्फेंसिंग (Video Conference) में शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार भी मौजूद रहे। वहीं कलेक्ट्रेट के वीसी कक्ष में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मान्या से पूछा कि वो 10वीं में कैसे 96.7 प्रतिशत ले आईं। इस पर मान्या ने बताया कि वो घर पर रहकर ऑनलाइन क्लासेस (Online classes) अच्छे से अटेंड करती थीं। साथ ही क्लास में जिस भी टॉपिक को पढ़ाया जाता था, उसे घर पर भी अच्छे से पढ़ती थी। घर में रहकर पढ़ाई कर अच्छे नंबर से पास हो सकी। मान्या ने बताया कि उनके पिता कृषक और माता ग्रहणी हैं। भविष्य में मान्या ऐरोस्पेस में जाना चाहती हैं।
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सीएम ने मान्या की ऐरोस्पेस में जाने की रुचि को सराहा और उसे बधाई दी। मान्या ने अपनी आनलाइन क्लासेस के बारे में जानकारी साझा की और बताया कि किस तरह उन्होंने घर पर रहकर ही अपनी शिक्षा को जारी रखा। मान्या को सीएम ने एकलव्य के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे बिना गुरू के एकलव्य ने द्रोणाचार्य की प्रतिमा बनाकर विद्या प्राप्ति की। एकलव्य ने गुरू की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उन्हें मन ही मन गुरू मानकर प्रतिमा के सामने ही धनुष विद्या सीखने लगे। सीएम शिवराज ने कहा कि- मान्या की बात से मुझे लगा कि यदि कोई सिखाने वाला न मिले तो आप अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से खुद भी सीख सकते हैं।
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कोरोना महामारी के दौरान बनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बच्चों की शिक्षा लगातार जारी रही। इस दौरान बच्चों ने घर पर रहकर विद्यालय का अनुभव किया जो हर किसी के लिए नया रहा। छात्रों ने समस्याओं के बीच अपनी शिक्षा में बेहतर करने की कोशिश की। शिक्षकों के मार्गदर्शन और घर पर अभिभावकों की निगरानी के बीच बच्चों ने विभिन्न परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन किया। बच्चों की मुख्य परीक्षाएं तो नहीं हुईं, लेकिन उनकी तमाम शैक्षणिक गतिविधियां जारी रहीं।