Mini Africa In India: घूमने फिरने के लिहाज से भारत एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जहां एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल मौजूद हैं। बात चाहे धार्मिक स्थलों की करी जाए या फिर ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों की यहां वह हर स्थान मौजूद है जो पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर सकता है।
भारत में एक से बढ़कर एक टूरिस्ट प्लेस मौजूद है जहां सैलानियों का जमावड़ा लगा हुआ दिखाई देता है। गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है और ऐसे में सभी कहीं ना कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं और अपने समर वेकेशन को बेस्ट बनाना चाहते हैं, तो आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बता रहे हैं, जिसका इतिहास 750 साल पुराना है और यहां के कुछ खास बातों को जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
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भारत में अलग-अलग धर्म, संप्रदाय, परंपरा और संस्कृति को मानने वाले लोग रहते हैं जिनका रहन-सहन, बोलचाल, खानपान सब कुछ एक दूसरे से अलग है। लेकिन आज हम आपको यह बताना चाहते हैं कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भारत में एक छोटा सा अफ्रीका भी छुपा हुआ है। चलिए इस जगह के बारे में आपको बताते हैं।
यहां पर है Mini Africa In India
भारत के सबसे प्रसिद्ध राज्य गुजरात में एक गांव है जिसका नाम जंबूर है और यहीं पर इस अफ्रीकन जनजाति के लोग निवास करते हैं। ये लोग आज से नहीं बल्कि 750 साल पहले से यहां पर निवास कर रहे हैं और इन्हें सिद्दी जनजाति के नाम से जाना जाता है। यहां रहने वाले इन लोगों की संख्या 50 हजार से ज्यादा है।
इन लोगों के शरीर की बनावट से लेकर बाल और रंग रूप पूरी तरह से अफ्रीकन लोगों की तरह दिखाई देता है। यही वजह है कि इस जगह को मिनी अफ्रीका के नाम से दुनिया भर में पहचाना जाता है। यहां रहने वाले लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं और अब बदलते समय के साथ कुछ लोग हिंदू और ईसाई धर्म को भी अपनाने लगे हैं। यह जनजाति मूल रूप से अफ्रीका के बनंतु समुदाय का हिस्सा है, जो दक्षिण पूर्व अफ्रीका में निवास करता है।
भारत कैसे पहुंची सिद्दी जनजाति
इस जनजाति के भारत पहुंचने का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है। बताया जाता है कि लगभग 750 साल पहले पुर्तगाली लोग इन्हें गुलाम बना कर यहां पर लाए थे। इसके अलावा अरब से भारत आए शेख व्यापारी भी इसी तरह से सैकड़ों लोगों को अपने साथ गुलाम बना कर ले आए थे।
गुलाम बना कर लाए गए लोगों को यहां के राजाओं को सौंप दिया गया और उसी समय से यह जनजाति यहां पर निवास कर रही है। दूसरी कहानी में यह भी बताया जाता है कि जब जूनागढ़ के नवाब अफ्रीका गए थे तो वहां से अपने साथ कई सारे गुलाम लेकर आए थे और उसी समय से गुजरात के जंबूर में यह जनजाति निवास कर रही है।
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इस तरह का है रहन सहन
मिनी अफ्रीका के नाम से पहचाने जाने वाली इस जगह पर सिद्दी समुदाय बहुत ही दयनीय स्थिति में रहता है। आजादी के 76 साल हो जाने के बावजूद भी इनके घर इनके नाम पर नहीं है और आज भी ये मिट्टी से बने हुए कच्चे घरों में निवास करते हैं। यह लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं और गुजराती भाषा बोलते हैं।
अगर गुजरात प्रशासन इन लोगों पर ध्यान देकर इस जगह को टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित करता है तो यह गुजरात के पर्यटन के साथ-साथ इस जनजाति के लोगों के लिए भी फायदेमंद होने वाला है क्योंकि उससे इनका विकास हो सकेगा। आपको बता दें कि गुजरात के अलावा कर्नाटक और हैदराबाद में भी निवास करते हैं।
घूमने फिरने के लिहाज से गुजरात एक बहुत समृद्ध जगह और अगर आपका वहां पर जाना होता है तो यहां के मिनी अफ्रीका का दीदार करना ना भूले इस जनजाति के पास रहने के लिए भले ही आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध ना हो लेकिन जब आप इनके बीच पहुंचेंगे तो इनका इतिहास आपको अपनी और आकर्षित करेगा।