मुरैना : पत्थर माफियाओं ने वन चौकी पर फायरिंग करते हुए फेंका देशी बम, एक आरोपी को किया गिरफ्तार

Amit Sengar
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मुरैना,संजय दीक्षित। रेत माफियाओं के बाद चंबल अंचल में अब पत्थर माफिया भी हावी होता नजर आ रहा है। एक ऐसा ही नजारा आज बानमोर थाना इलाके के पहाड़ी गांव के पास अवैध पत्थर की खदान पर कार्रवाई करने गई वन विभाग की टीम पर पत्थर माफियाओं ने फायरिंग कर हमला बोल दिया। और अवैध पत्थर का उत्खनन करने वाले पत्थर माफिया जब जेसीबी और मशीनों को खदान से निकालकर फायरिंग करते हुए मौके से फरार हो गए। वन विभाग ने एक आरोपी को मोटरसाइकिल सहित गिरफ्तार कर लिया हैं।

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हम आपको बता दें कि जिले में पत्थर माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि अब वन विभाग के अधिकारियों पर भी फायरिंग करने से पीछे नहीं हट रहे हैं, देर रात की घटना के बाद विभाग ने पुलिस के अधिकारियों को भी सूचना दी और पुलिस के अधिकारी भी देर रात मौके पर पहुंचे। आज पत्थर माफियाओं ने वन विभाग की पहाड़ी चौकी पर फायरिंग कर हाथ से बने बम फेंके। जिससे कर्मचारियों में हड़कंप मच गया और बानमौर थाना प्रभारी को सूचना दी गई।

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हालांकि, पत्थर माफियाओं ने जब वन चौकी की पर हमला बोला उस समय वन विभाग के एक दो कर्मचारी मौके पर मौजूद थे, घटना की सूचना मिलते ही बानमौर थाना प्रभारी सहित भारी पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा और आरोपियों की तलाश में जुट गया है, आरोपी हमला कर मौके से फरार हो गए हैं, पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर मामले की जांच की जाएगी। इस तरीके की घटनाओं के बाद ऐसा लगता है कि राजनीतिक इतनी हावी है कि पत्थर माफिया और रेत माफियाओं का सहयोग भी राजनेता कर रहे हैं, जिले में रेत माफिया और पत्थर माफिया लगातार लोगों को कुचलने में भी पीछे नहीं हटते हैं। और वन विभाग और पुलिस पर हमला करना तो आम बात हो गई है, जिस तरीके से पत्थर माफियाओं ने वन चौकी पर हाथ से बने हुए बम फोड़े और हथियारों से फायरिंग की है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पत्थर माफिया जिले में अधिकारियों पर किस तरीके से हावी हैं यही कारण है कि अधिकारी कार्यवाही करने से पीछे हटते हैं।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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