मोदी-नेहरु का देश चलाने का रवैया अलग-अलग: डा. हितेश वाजपेयी

Diksha Bhanupriy
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MP News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने देश का नाम दुनिया भर में गौरवान्वित किया है। जिस तरह से विदेश में उन्होंने भारत की छवि को प्रस्तुत किया है और विदेशी नेता उनके अंदाज और काम करने के तरीके के कायल हैं। उससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में एक बेहतरीन छवि दुनिया के सामने पेश की है।

कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के देश चलाने के रवैया पर चर्चा होती है और लोग अपने-अपने तर्क देते हैं। अब इस पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डा. हितेश वाजपेयी ने अपने विचारों को साझा किया है और बताया है कि किस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेहरू जी का देश चलाने का रवैया अलग था।

ट्वीट से दी जानकारी

बिना किसी द्वेष के हम क्या ये नहीं कह सकते कि नरेन्द्र मोदी जी का और नेहरु जी का रवैया देश चलाने का इस प्रकार अलग था?

शासन शैली

नरेंद्र मोदी के शासन की अधिक व्यावहारिक और कार्य-उन्मुख शैली रही हैं, जो अक्सर दक्षता, तेजी से निर्णय लेने और नीतियों के कार्यान्वयन पर जोर देते हैं।

इसके विपरीत, जवाहरलाल नेहरू अपने बौद्धिक दृष्टिकोण और आधुनिकीकरण की दृष्टि, लोकतांत्रिक-आदर्शों, धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जाने जाते थे जिनका आम व्यक्ति से ज्यादा सरोकार नहीं रहा।

आर्थिक विचारधारा 

मोदी की आर्थिक नीतियां अक्सर बाजार-उन्मुख सुधारों की ओर झुकती हैं, “मेक इन इंडिया” जैसी पहल की वकालत करती हैं और उद्यमिता और आर्थिक विकास पर जोर देती हैं। दूसरी ओर, नेहरू ने राज्य के नेतृत्व वाले विकास और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत की समाजवादी-अर्थव्यवस्था की नींव रखी जो अपने ही तरीके के भ्रष्टाचार से खत्म होती चली गई और आज वे संस्थाएं जर्जर हैं।

विदेश नीति दृष्टिकोण

मोदी की विदेश नीति का दृष्टिकोण अधिक मुखर और व्यावहारिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता प्रतीत होता है, जो भारत की वैश्विक स्थिति, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में पेश करने पर केंद्रित है।

नेहरू ने गुटनिरपेक्षता और शांति और निरस्त्रीकरण पर ध्यान केंद्रित करने की वकालत करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान वैश्विक कूटनीति पर एक अलग जोर दिया। शीत-युद्ध के युग के माध्यम से नए स्वतंत्र भारत को आगे बढ़ाया और गुटनिरपेक्षता की वकालत की जिसकी वजह से भारत अंतर्राष्ट्रीय पटल पर कभी भी उभर कर आगे नहीं आ पाया।

भाई बुरा न मानो मोदी हैं 

मोदी नहीं होते तो हम नेहरु को ही हमेशा सही और उपयुक्त मानते जो गलत होता !

“बलिहारी मोदी जी आपकी, जो “नेहरु” जी दियो बताय”

 


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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