अच्छी पहल : एसडीएम गर्ग ने आंगनबाड़ी प्ले स्कूल में कराया बेटे का एडमिशन

Amit Sengar
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Neemuch News :  किसी भी बड़े पद पर बैठने के बाद हर व्यक्ति अपने बच्चों की शुरुआती शिक्षा ही नामी स्कूल में कराने की ख्वाहिश रखता है। लेकिन नीमच जिले की जावद एसडीएम शिवानी गर्ग की वर्किंग पूरी तरह अलग है। उन्होंने समाज और उच्च पद पर बैठे अधिकारियों के लिए एक मिसाल पेश करते हुए न केवल अपनी दो साल के बेटे अशिव गर्ग को मोरका आंगनवाड़ी में छोड़कर अपने काम पर जाती है। उनका बेटा यहां अन्य बच्चों के साथ भोजन करता है और पड़ना सीख रहा है। एसडीएम का कहना है कि हमारे क्षेत्र में लगभग सारी आंगनवाड़ियों की स्थिति बहुत अच्छी है। जब आम लोगों के बच्चे उसमें नैतिक शिक्षा ले सकते हैं तो मेरा बेटा क्यों वहां नहीं पढ़ सकता।

जिले सहित प्रदेश में सरकारी स्कूल व आंगनवाड़ी केंद्रों की बात निकलते ही लोगों के मन में कमजोर शिक्षा व्यवस्था व अव्यवस्थाओं का दृश्य सामने आता है। यही खेलते हैं। कारण है कि सरकारी से अधिक प्राइवेट स्कूल फल-फूल रहे हैं। छोटे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते उनके लिए प्ले स्कूल का चलन बढ़ा है, जबकि सरकार द्वारा इनके लिए आंगनवाड़ी संचालित की जा रही है। इसमें खेलकूद के साथ बच्चों को पौष्टिक आहार भी दिया जाता है। इसके बाद भी लोगों ने इनसे दूरी बना रखी है। कई अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी अपने बच्चों के लिए निजी स्कूल का चयन करते हैं लेकिन जिले की जावद तहसील में एसडीएम शिवानी गर्ग इसमें बदलाव की सोच रखती है। वे अपने दो साल के बेटे अशव गर्ग को रोज को पोयम सिखाते हैं। आंगनवाड़ी केंद्र पर छोड़कर ही कार्यालय जाती हैं। अशव यहीं पर अन्य बच्चों के साथ खेलता है, पढ़ाई करता है व उन्हीं के साथ सरकारी भोजन भी करता है।

दो माह से रोज जा रहा आंगनवाड़ी- ऑशव जब से चलने व समझने लगा है, उसके बाद से आंगनवाड़ी केंद्र जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुधा श्रीवास्तव ने बताया कि अशिव करीब दो माह से आंगनवाड़ी आ रहा है। अन्य बच्चों के साथ खेलने पर कई बार तो वह घर जाने को भी तैयार नहीं होता है। मैडम सुबह 9 से 9.30 के बीच उसे छोड़ देती हैं। 10 बजे सभी बच्चों को नाश्ता कराया जाता है। बच्चों को खेल खिलाते हैं, कविताएं सिखाते हैं।

अगर हम बदलाव नहीं लाएंगे तो कौन लाएगा

जावद एसडीएम शिवानी गर्ग ने कहा कि अगर हम बदलाव नहीं लाएंगे तो कौन लाएगा। मेरा बेटा जो अभी करीब दो साल का है वह मोरका आंगनवाड़ी में जाता है। वह वहां सभी बच्चों के साथ खेलता है, पढ़ना व बोलना सीख रहा है। आंगनवाड़ी में दूसरे बच्चों के साथ अच्छे से भोजन भी करता है। मेरा अनुरोध है कि सभी अभिभावक अपने छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों पर जरूर भेजें। जिससे कहीं कोई अव्यवस्था हो तो उसे आप सभी लोगों के सहयोग से दूर किया।
नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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