नीमच, कमलेश सारडा। पूरे देश में रावण दहन अमूमन दशहरे पर ही होता ही है, लेकिन मप्र (MP) के नीमच (Neemuch) स्थित रावण रुंडी में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर रावण दहन एक अनोखी परंपरा के साथ होता है। यह परंपरा 300 वर्षों से चली आ रही है जिसे आज भी यहाँ के लोगो ने जारी रखी है। इस दिन यहाँ पर रावण दहन लोग करते आ रहे है, जिसमे नीमच सहित आस-पास के एक दर्जन गांव के हजारो लोग शामिल होते है।
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शरद पूर्णिमा पर रावण दहन के ये अनोखी परंपरा ग्वालियर के सिंधिया घराने ने शुरू की थी। बता दें कि नीमच के उपनगर रावण रुंडी क्षेत्र में करीब 300 वर्ष पहले से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे यहाँ के लोग आज भी जारी रखे हुए है। शहर के दशहरे पर रावण दहन के होने वाले मुख्य समारोह के बाद शरद पूर्णिमा पर यहाँ फिर रावण दहन किया जाता है।
इस दिन रावण दहन की इस अनोखी परंपरा को लेकर लोगो का कहना है कि ग्वालियर रियासत के समय से यह परंपरा चली आ रही है और उसी परंपरा अनुसार ही इस बार भी यहाँ शरद पूर्णिमा की शाम आतिशबाजी की गई। राम, लक्ष्मण, हनुमान सहित रावण और विभिन्न स्वांगधारियो ने लोगो का खूब मनोरंजन किया। उसके पश्चात काल भैरो, नील भैरो और सिंदूरी भैरो ने परिक्रमा की। परिक्रमा के पश्चात अतिथियों द्वारा 21 फिट ऊंचे रावण का दहन किया गया।
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