नीमच में नहीं मिल रहा एथेनॉल बनाने के लिए चावल, प्रभावित होगा 100 डिस्टीलरियों का उत्पादन

Sanjucta Pandit
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Neemuch News : नीमच जिले में एथेनॉल बनाने के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदामों से चावल मिलना बंद होने की खबर है। जिसके कारण जिले में दो फैक्ट्रीया दोनों बंद होने की कगार पर है। एथनॉल बनाने वाली डिस्टिलरियों ने यह शिकायत करते हुए बताया कि पिछले एक हफ्ते से उन्हें चावल नहीं मिल रहा है। इससे ईंधन में एथनॉल मिलाने का देश का महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम लड़खड़ा सकता है। बता दें कि चावल की आपूर्ति रुकने से देश में करीब 100 डिस्टिलरियों का एथनॉल उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इन डिस्टिलरियों में एथनॉल बनाने के लिए चावल का इस्तेमाल होता है जो एफसीआई से ही आता है। वे चावल को स्टार्च में बदलती हैं, जिससे एथनॉल तैयार किया जाता है।

जानें इसका कारण

उद्योग भागीदारों ने बताया कि कुछ डिस्टिलरी दो तरह का कच्चा माल इस्तेमाल करती है। चीनी के सीजन में गन्ने से एथनॉल बनाया जाता है और साल के बाकी महीनों में अनाज का इस्तेमाल होता है। मगर उन पर भी असर पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक, एफसीआई ने आ​धिकारिक तौर पर इस निर्णय के पीछे का कारण नहीं बताया लेकिन माना यही जा रहा है कि अनाज की बढ़ती कीमतों और 2023-24 फसल वर्ष में कम बारिश और उसके बाद बाढ़ के कारण धान की उपज कम रहने की आशंका में ही ऐसा किया गया है। पिछले सप्ताह निर्यात पर प्रतिबंध भी इन्हीं दो कारणों से लगाया गया है।

100 डिस्टीलरी हो सकती है प्रभावित

एफसीआई के आधिकारिक प्रवक्ता के मुताबिक, उन्हें ऐसे किसी निर्देश की जानकारी नहीं है। इन मामलों को देखने वाले एक अन्य वरिष्ठ अ​धिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर मीडिया से बात करने का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया है। FCI एथनॉल उत्पादकों को 20 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर चावल बेचता है जो खुले बाजार में बिक्री के 31 रुपए प्रति किलो के भाव से काफी कम है। एथनॉल मिलाने के लिए एफसीआई से सलाना करीब 15 लाख टन चावल की जरूरत होती है। एफसीआई से चावल की आपूर्ति अचानक बंद हो गई तो अनाज से एथनॉल बनाने वाली करीब 100 डिस्टिलरी इकाइयां बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगी। जिनके पास थोड़ा चावल पड़ा है, वे कुछ दिन चलेंगी मगर आखिर में उन्हें भी रुकना ही पड़ेगा।

सालाना उत्पादन की कीमत

साल 2021-22 में एफसीआई ने इथेनॉल के उत्पादन के लिए 1.02 मीट्रिक टन चावल 2,000 रुपये/क्विंटल की कीमत पर बेचा जबकि साल 2020-21 में सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलरीज को 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 81,044 टन चावल आवंटित किया था। बता दें कि इथेनॉल इसलिए बनाया जा रहा है ताकि उसे पेट्रोल में मिलाया जाए। वहीं, सरकार पेट्रोल का आयात खर्च घटाने के लिए पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग कर रही है। अभी पेट्रोल में 11 परसेंट तक इथेनॉल मिलाया जा रहा है। सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20 परसेंट इथेनॉल मिलाने का टारगेट तय किया है। इसके लिए चावल के अलावा मक्का और टूटे अनाजों से इथेनॉल बनाया जा रहा है।

इथेनॉल बनाने के लिए कंपनियों को एफसीआई से 2000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चावल दिया जाता है। दूसरी ओर, सरकार ने खुले बाजार में अनाज बेचने वाली योजना ओपन मार्केट सेल स्कीम में चावल का रेट 3100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। मौजूदा इथेनॉल सप्लाई वर्ष (दिसंबर-नवंबर) में एफसीआई ने इथेनॉल के लिए 30 लाख टन चावल सप्लाई का टारगेट फिक्स किया है, जिसमें से केवल 13 लाख टन ही जारी किया गया है।

दूसरे विकल्प का किया जाएगा इस्तेमाल

अधिकारियों के मुताबिक, डिस्टिलरी कंपनियां खांड़ या शीरा से इथेनॉल बनाती हैं जो चीनी का एक बाई प्रोडक्ट है। हालांकि, गन्ना या चीनी से ही इथेनॉल बनाने का काम पूरा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे पेट्रोल में 20 परसेंट इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसलिए दूसरे विकल्प जैसे कि मक्का और चावल का इस्तेमाल किया जाता है।

नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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