पुलिस पर डाका डालने का आरोप, आरोपी के बैंक खाते से निकाले 53 हजार रुपए

Gaurav Sharma
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एसपी

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आमतौर पर देखा जाता है कि चोरों द्वारा लोगों के घरों को निशाना बनाया जाता है या फिर ऑनलाइन ठगी (Cheating online) के जरिए जनता का पैसा लूटा जाता है। जिस पर पुलिस कार्रवाई करती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मामले के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर पुलिस ने जेल में बंद गांजा तस्कर (Hemp smuggler in jail) के बैंक खाते पर ही डाका डालने का आरोप लगा है। जी हां हम बात कर रहे हैं भोपाल की कोहेफिजा पुलिस (Kohefija Police) की, जिसने Ndps के गिरफ्तार आरोपी (Ndps arrested accused) के एटीएम (ATM) से 53 हजार रुपए निकाल लिए।

पुलिस ने आरोपी के ATM से निकाले रुपए

बता दें कि कोहेफिजा पुलिस (Kohefija Police) ने 2 जनवरी को धर्मेंद्र और एक महिला को ndps के तहत गिरफ्तार किया था। जिसके बाद जेल में बंद आरोपी (Jailed accused) के भाई का आरोप है कि जिस वक्त पुलिस ने उसके भाई को पकड़ा उस समय पुलिस (police) ने बाकी सामान के साथ एटीएम (ATM) भी जब्त कर लिया था। इसी दौरान जब धर्मेंद्र जेल में बंद था, तो उसके अकाउंट (Account) से पुलिस द्वारा पैसे निकाले गए हैं।

जिला कोर्ट CSP को दिए जांच के आदेश

जब यह मामला जिला कोर्ट में पहुंचा तब उन्होंने CSP कोहेफिजा (CSP Kohefija) को जांच के आदेश दिए हैं। आरोपी के भाई का आरोप है कि महिला SI जांच आवेदन पास लेने का दबाव बना रखी है। वहीं इस मामले में एक SI, एक महिला SI समेत चार कॉन्स्टेबल (Constable) और एक ASI पर जांच चल रही है।

4 कॉन्स्टेबल को किया लाइन अटैच

इस मामले को लेकर 4 कॉन्स्टेबल (Constable) को लाइन अटैच (Line attachment) करने के बाद 2 कॉन्स्टेबल (Constable) को वापस थाने में बहाल किया है। एक ओर पुलिस के होने से जहां जनता अपनी रक्षा को लेकर बेफिक्र होती है, वहीं दूसरी ओर अगर पुलिस द्वारा ही लोगों के बैंक खातों में डाका डाल दिया जाए तो पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो जाते है। आखिर ऐसे में आम जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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