राजगढ़, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ में पोलियो की दवाई पीने के बाद भी पोलियो बीमारी होने से दिव्यांग हुए एक व्यक्ति ने शासन एवं स्वास्थ्य विभाग से उचित मुआवजे के लिए न्याय की गुहार लगाई थी । करीब 27 साल लंबी लड़ाई लड़ने के बाद राजगढ़ कोर्ट के आदेश उपरांत पीड़ित को ₹48 लाख का मुआवजा मिला है ।
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पिछले साल मध्य प्रदेश शासन (MP Government) के स्वास्थ्य विभाग (health Department) द्वारा मुआवजा राशि जमा नहीं करने से स्वास्थ्य विभाग की सम्पत्ति को कुर्क कर नीलाम करने के आदेश पारित किया गया के जिसके उपरांत राजगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा न्यायालय में पूर्ण क्षतिपर्ति राशि 48 लाख का भुगतान किया गया। गौरतलब है कि सन 2018 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के उपरांत भी 3 साल राजगढ़ न्यायालय में चली कानूनी लड़ाई के बाद दिव्यांग को पूर्ण राशि का भुगतान सितंबर 2021 में किया गया है ।
दरअसल, मध्यप्रदेश राजगढ़ जिले के ओढ़पुर गांव में रहने वाले देवीलाल नाम के व्यक्ति को सन 1995 मैं पोलियो की दवा स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिलाई गई थी, उस समय देवीलाल के माता पिता घर पर नहीं थे।घर पर देवीलाल की दादी थी, जिनके द्वारा गाँव मे लेजाकर देवीलाल को दवा पिलावाई गई थी। इस पल्स पोलियो दवा पीने के बाद देवीलाल को पोलियो हो गया ,जिसके बाद देवीलाल के पिता ने अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन जब कोई हल नही निकला । इसके बाद पीड़ित देवीलाल के पिता ने हर्जाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया ।
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पीड़ित के राजगढ़ वकील समीर सक्सेना व रुचि सक्सेना ने बताया कि हमारे पक्षकार देवीलाल तीन वर्ष के थे, तब उनको पोलियो की दवा पिलाई गई थी जो दवा पिलाने के बाद फेल हो गई थी ।वर्ष 1996 में राजगढ़ न्यायालय में लगाए गए वाद पत्र के बाद वर्ष 1999 में राजगढ़ न्यायालय द्वारा यह नहीं माना कि पोलियो की दवाई से पोलियो का विपरीत असर भी हो सकता है, परंतु क्षतिपूर्ति राशि ₹25000 के हर्जाने के आदेश शासन को दिए लेकिन जिला न्यायालय के फैसले के विरुद्ध शासन उच्च न्यायालय चला गया।
हाईकोर्ट ने सुनाया था 10 लाख की क्षतिपूर्ति का आदेश
वह दिव्यांग द्वारा भी उक्त फैसले के विरुद्ध मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (MP High Court) खंडपीठ इंदौर के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई । उच्च न्यायालय इंदौर के समक्ष चले 17 साल कानूनी लड़ाई के पश्चात उच्च न्यायालय द्वारा यह निर्णय लिया गया कि पोलियो की दवाई पीने के पश्चात भी उक्त दवाई का विपरीत असर होने से पोलियो हुआ है, जिसके कारण दिव्यांग क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने का अधिकारी है । वर्ष 2017 में दिए अपने आदेश में संबंधित को क्षतिपूर्ति राशि रु 10 लाख वह वर्ष 1996 से उक्त राशि पर ब्याज सहित क्षतिपूर्ति राशि देने के आदेश सुनाए।
सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा
इस आदेश के खिलाफ भी शासन उच्चतम न्यायालय (Supreme court) गया, परंतु उत्तम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को मान्य करते हुए करते हुए शासन की अर्जी निरस्त कर दी। राजगढ़ न्यायालय में उच्चतम न्यायालय के फैसले के पश्चात 3 साल चली कानूनी कार्यवाही के पश्चात दिव्यांग देवीलाल को कुल क्षतिपूर्ति राशि ₹48 लाख रुपये की राशि दी गई है ।चूंकि देवीलाल को 1996 में पोलियो की दवा पिलाई गई थी।
इसके पश्चात चली कानूनी लड़ाई के बाद क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त हुई है उक्त कानूनी लड़ाई में कुल 27 वर्ष का समय लगा ।शुरुआत में 4 वर्ष जिला न्यायालय में , उच्च न्यायालय में 17 वर्ष तथा 6 माह का समय उच्चतम न्यायालय में लगा। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के पश्चात भी 3 साल की कानूनी लड़ाई के पश्चात क्षतिपूर्ति राशि दिव्यांगों प्राप्त हुई देवीलाल राशि प्राप्त होने के बाद देवीलल खुश है तथा MA की पढ़ाई कर रहा है।