रतलाम : एक्सप्रेस-वे पर निवेश क्षेत्र बनाने पर आदिवासियों का विरोध, उतरे सड़क पर, कहा- नहीं छोड़ेगे जमीन

रतलाम, डेस्क रिपोर्ट। रतलाम से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस-वे को लेकर विरोध शुरू हो गया है, करीब 2.5 किलोमीटर सटकर बनने वाले स्पेशल इंवेस्टमेंट एरिया  का कोई और नहीं बल्कि यहाँ के आदिवासी समाज के लोग विरोध कर रहे हैं। दरअसल आदिवासी समाज का कहना है कि वह सालों से इस जमीन पर खेती कर परिवार पाल रहे हैं और वह जमीन नहीं छोड़ना चाहते। ऐसे में अगर सरकार यहाँ कोई काम करती है तो उन्हे यहाँ से हटना पड़ेगा, आदिवासियों का कहना है कि हम पढ़े-लिखे नहीं हैं। खेती और पशुपालन ही जानते हैं। यहां निवेश क्षेत्र बन जाएगा तो जानवरों को कहां चराएंगे। फिलहाल प्रशासन ने यहाँ आदिवासियों को समझाने का भरसक प्रयास किया है लेकिन कोई हल नहीं निकला है।

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वही  प्रशासन की माने तो प्रोजेक्ट रतलाम को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से बड़ी सौगात है। इससे इस क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा। प्रदूषण मुक्त लॉजिस्टिक हब और टेक्सटाइल पार्क बनेंगे। रतलाम ही नहीं, आसपास के जिलों के भी 25 से 30 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा। गौरतलब है कि रतलाम जिले के 5 गांवों में इंवेस्टमेंट एरिया बनना है, जिसके चलते रतलाम जिले के बिबड़ोद, पलसोड़ी, जामथुन, सरवनी और रामपुरिया गांव की राजस्व सीमा में आने वाली सरकारी जमीन पर इंवेस्टमेंट एरिया बनाया जाना है। सबसे ज्यादा बिबड़ोद और पलसोड़ी गांव की जमीन राजस्व सीमा में आती है। इस मामलें में प्रशासन का दावा है कि इंवेस्टमेंट एरिया 1466 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर बनाया जाना है। किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं ली जाएगी। आदिवासियों को भी यह बात समझा दी गई है, लेकिन उसके बावजूद उनका विरोध जारी है।


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Harpreet Kaur