फिट इंडिया मूवमेंट की पहली वर्षगांठ, मालथौन पुलिस की सराहनीय पहल

Gaurav Sharma
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सागर, शुभम पाठक। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत, करीब एक साल पहले की गयी थी। जिसमें सभी कलाकारों एवं खिलाड़ियों ने भी भाग लिया था और सोशल मीडिया पर भी फिटनेस चैलेंज काफी ट्रेड किया गया था। इसी की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष में देश के साथ साथ प्रदेश में भी अलग-अलग स्तरों पर फिटनेस कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी के तहत सागर जिले की मालथौन तहसील में पुलिस प्रशासन द्वारा “फिट इंडिया मूवमेंट” की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष पर पुशअप और चिनअप जैसी प्रतियोगिता का इस कोरोना काल में भी बड़ी सावधानी और सुरक्षा के साथ‌ कार्यक्रम आयोजित किया गया।

फिट इंडिया मूवमेंट की पहली वर्षगांठ, मालथौन पुलिस की सराहनीय पहल

यह प्रतियोगिता मालथोन पुलिस प्रशासन के अधिकारी ASI ललित प्रताप वेदी, ASI एनएच ठाकुर और आरक्षको में बलराम, करण सिंह, लक्ष्मण प्रसाद साकेत, डी के द्विवेदी, जितेंद्र, राम नारायण और स्कूल शिक्षक के.के मिश्रा, एस के तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित की गई और ब्लॉक खेल समन्वयक राखी ठाकुर की निगरानी में हुई। प्रतियोगिता में समस्त मालथोन ब्लॉक के 50 से भी अधिक प्रतिभागियों ने कोरोना काल में भी सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनीटाइजर का‌ प्रयोग करते हुए भाग लिया। साथ ही “पुश अप प्रतियोगिता” में प्रथम स्थान पर अभिषेक यादव , द्वितीय स्थान पर अकील खान आये और चिन अप प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रवि शंकर लोधी और द्वितीय स्थान पर अमित यादव आये और इन समस्त प्रतिभागियों को पुलिस प्रशासन द्वारा सम्मानित किया गया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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