पंचतत्व में विलीन हुए विधायक जुगुल किशोर बागरी, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

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सतना, पुष्पराज सिंह बघेल। जिले के रैगांव विधानसभा क्षेत्र (Raigaon Assembly) के विधायक एवं मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी (Former Minister Jugul Kishore Bagri) मंगलवार को पंच तत्व में विलीन हो गए। उनके गृह ग्राम बसुधा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल (Corona Protocol) के तहत किया गया। उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी ने पिता को मुखाग्नि दी। बसुधा में विधायक को श्रद्धांजलि देने बड़ी संख्या में स्थानीय नेता और जनता मौजूद रहे। बता दें कि सोमवार को भोपाल के चिरायु अस्पताल (Chirayu Hospital) में रैगांव विधायक का उपचार के दौरान निधन हो गया था। कोविड से रिकवर होने के बाद पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन (Post Covid ) के कारण हृदयाघात से निधन हुआ था।

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भाजपा से रैगांव विधानसभा का लगातार चार बार प्रतिनिधित्व करनें वाले विधायक जुगुल किशोर बागरी की अब यादे ही शेष बची हैं। उनका मंगलवार राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 20 अप्रैल को विधायक कोरोना पॉजिटिव हुये थे और 30 अप्रैल के उन्हें उपचार के लिए एयर लिफ्ट कर भोपाल चिरायु अस्पताल ले जाया गया था। सोमवार की दोपहर विधायक की सांसे रुक गई। उनका शव देर रात उनके घर बसुधा पहुंचा और आज कोरोना प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मंत्री रामखेलावन पटेल, सतना सांसद गणेश सिंह, सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह, रामपुर विधायक विक्रम सिंह, नागौद विधायक नागेंद्र सिंह सहित स्थानीय नेताओं के साथ जिला प्रशासन के आला अधिकारी और आमजन बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

पंचतत्व में विलीन हुए विधायक जुगुल किशोर बागरी, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

विधायक जुगुल किशोर बागरी का राजनीतिक सफर
जुगुल किशोर बागरी पांचवीं बार भाजपा से विधायक बने थे। वे 1993 में पहली, 1998 में दूसरी, 2003 में तीसरी, 2008 में लगातार चौथी बार विधायक बनकर इतिहास रचा था। हालांकि 2013 में बढ़ती उम्र को देखते हुए पार्टी ने उनकी जगह उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दिया था, लेकिन बसपा की उषा चौधरी से पुष्पराज हार गए थे। इसके बाद एक बार फिर बब्बा पर ही पार्टी ने भरोसा किया तो 2018 में पांचवी बार विधायक बने। वे वर्ष 2003 में उमा भारती की सरकार में जल संसाधन राज्य मंत्री बने थे। लेकिन 1998 में शिक्षाकर्मी घोटाले में नाम आने पर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज हुआ और 2005 में चलान पेश हुआ, जिसके कारण उन्हें मंत्री पद गवांना पड़ा।


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Prashant Chourdia

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