पुलिस ने किया कांग्रेस नेता समीर खान को गिरफ्तार, अश्लील वीडियो बनाकर करता था ब्लैकमेल

Gaurav Sharma
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सतना, पुष्पराज सिंह बघेल। जिला पुलिस ने एक नाबालिग लड़की शिकायत पर 40 साल के आरोपी समीर खान उर्फ अतीक खान को गिरफ्तार कर न्यायलय में पेश कर दो दिन की रिमांड पर लिया है। नाबालिग लड़की ने आरोपी पर दैहिक शोषण और अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। जिसपर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने तुंरत आरोपी को उसके फार्म हाउस से गिरफ्तार किया था। आरोपी से पुलिस की पूछताछ लगातार जारी है, जिससे कई खुलासे होने की उम्मीद जताई जा रही है।

सतना पुलिस ने आरोपी के रीवा रोड स्थित साइबर कैफे और नजीराबाद स्थित ऐश गाह बने फार्म हॉउस को सील कर जांच शुरू कर दी है। सतना एसपी रियाज इकबाल ने सिकंदर के और भी अनैतिक कारनामो में संलिप्तता को लेकर जांच के लिए एसआईटी गठित की है। साथ ही एसपी ने आम जनता से अपील की है कि सिकंदर या किसी भी जुड़े मामले में निर्भय होकर शिकायत करें। शिकायतकर्ता की जानकारी गोपनीय रखी जायेगी।दुष्कर्म के आरोपी सिकंदर के कारनामे से सतना से लेकर भोपाल तक सियासी भुचाल आ गया है।

बता दें कि आरोपी 40 वर्षीय सिकंदर उर्फ समीर खान ,उर्फ अतीक खान सतना जिले के वार्ड 41 के पार्षद रईस खान का भाई है। सिकंदर के इस कारनामे के उजागर होने के बाद सियासत गर्मा गई है। बीजेपी ने सिकंदर की करतूत को आड़े हांथो लेते हुए हमले भी शुरू कर दिए हैं।

बताया जा रहा है कि सिकंदर लव जेहादी था, जो भोली भाली लड़कियों को नाम बदलकर अपने जाल में फंसाता था और फिर उनके अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें लव जिहाद की भेंट चढ़ा देता था। बीजेपीनेता विश्वास सारंग ने इस मामले पर ट्वीट भी किया है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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