सतना, पुष्पराज सिंह बघेल। दूल्हे को घोड़ी पर चढ़कर बारात निकालते आपने हमेशा देखा होगा। लेकिन किसी दुल्हन को घोड़ी पर चढ़कर दूल्हे के घर बारात ले जाते शायद ही देखा होगा। सतना में ये नजारा देखने को मिला जब बलेचा परिवार की इकलौती बेटी घोड़ी पर चढ़कर दूल्हे के घर बारात लेकर निकली। बड़े धूमधाम से बारात सतना से कोटा दूल्हे के घर रवाना हुई। परिवार ने घोड़ी चढ़ने की बेटी की ना सिर्फ ख्वाहिश पूरी की है बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया है कि बेटियां किसी पर बोझ नहीं होती, बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं होता।
सतना के कृष्ण नगर इलाके में रहने वाले नरेश बलेजा की इकलौती बेटी दीपा की शादी का दृश्य जिसने भी देखा, देखता ही रह गया। नजारा ही कुछ ऐसा था जब दुल्हन घोड़ी पर सवार थी और बारात दूल्हे के घर के लिए रवाना हो रही थी। दीपा की शादी कोटा में रहने वाले परिवार में तय हुई। बेटी की ख्वाहिश थी कि वह घोड़ी पर बैठकर अपने दूल्हे के घर पहुंचे। इस ख्वाहिश को परिवार ने पूरा किया है। ये परिवार बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं समझता है अपनी बेटी की शादी उसकी इच्छा के मुताबिक करना चाहते थे। लिहाजा बड़े धूमधाम के साथ बेटी की बारात निकाली गई। परिवार का कहना है कि कई सालों बाद उनके घर एक बेटी हुई है। वे अपनी बेटी को बेटे से भी ज्यादा प्यार करते हैं। दुल्हन की मां का कहना है कि अक्सर समाज में बेटों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन वो अपनी बेटी की बारात निकालकर समाज को यह मैसेज देना चाहती हैं की बेटियों का सम्मान करें, क्योंकि बेटी है तो कल है।