जबलपुर, सिवनी, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने सिवनी जिले में पदस्थ एक उच्च माध्यमिक शिक्षक को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने जबलपुर कमिश्नर द्वारा शिक्षक पर लगाया गया दंड, एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने और 98,457 रुपये की वसूली किये जाने के आदेश को निरस्त कर दिया है।यह पूरा मामला सिवनी और जबलपुर से जुड़ा है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिवनी जिले के मनीष मिश्रा शासकीय हाई स्कूल पहाड़ी, ब्लॉक घंसौर में प्रभारी प्राचार्य (आदिवासी विकास विभाग) के पद पर कार्यरत हैं। एडवोकेट अमित चतुर्वेदी इन पर आरोप लगा कि मिश्रा ने विद्यालय में कार्यरत संविदा शिक्षक जिनकी सेवानिवृत्ति दिनाँक 30/06/16 को होनी थी, परंतु प्रभारी प्राचार्य की गलती से संविदा शिक्षक ने दिनाँक 28/01/19 तक कार्य किया, ऐसे में शासन को कथित रूप से 5000 प्रति माह के हिसाब से 1,45000 का नुकसान हुआ।जैसे ही यह मामला सिवनी कलेक्टर के पास पहुंचा तो उन्होंने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया, इस पर मिश्रा ने जवाब देते हुए सारे आरोपों को खारिज कर दिया। इसके बाद कलेक्टर ने एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोके जाने और 98,457 रुपये (शासन को कथित हानि) की वसूली किये जाने का प्रस्ताव मिश्रा के विरुद्ध जबलपुर संभाग आयुक्त को भेजा गया।
फिर जबलपुर कमिश्नर ने भी मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी तो मिश्रा ने फिर सभी आरोपों से इंकार किया गया।इसके बाद कमिश्नर जबलपुर ने मिश्रा के विरुद्ध 15 फरवरी 2022 को सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 नियम के नियम 10(4) के तहत, एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने और 98,457 रुपये (शासन को कथित हानि) की वसूली किये जाने का माइनर पनिशमेंट (लघु शास्ति) का आदेश पारित कर दिया।मामला यही नहीं थमा मिश्रा ने आदेश को उच्च न्यायालय जबलपुर में चुनौती दी और मिश्रा की ओर से हाई कोर्ट के वकील अमित चतुर्वेदी ने कोर्ट के समक्ष दलील दी ।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वकील अमित ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 16 के तहत नोटिस जारी किए जाने पर यदि आरोप तथ्यात्मक हैं एवं कर्मचारी द्वारा आरोपों से इंकार किया जाता है, ऐसे में डिसिप्लिनरी अधिकारी द्वारा बिना नियमित विभागीय जांच के मात्र कारण बताओ नोटिस के आधार पर, माइनर पनिशमेंट नही दिया जा सकता है। वकील ने यह भी पक्ष रखा कि वेतन देने का अधिकार आहरण अधिकारी एवं कर्मचारी को रिटायर करने का अधिकार नियोक्ता को होता है, ना की शिक्षक को।इस पर सहमति जताते हुए हाई कोर्ट जबलपुर ने मनीष मिश्रा के विरुद्ध कमिश्नर द्वारा पारित दंडादेश को निरस्त कर दिया है।