सिवनी, डेस्क रिपोर्ट | देशभर में आज कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है। इस दिन को देव दिवाली के नाम से भी जाना जाता है लेकिन इस बार साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने के कारण देव दिवाली 8 नवंबर की जगह 7 नवंबर को मनाई गई। इसलिए देव दिवाली को सूतक काल से पहले ही मनाया गया। इसी क्रम में सिवनी के लखनवाड़ा स्थित वैनगंगा नदी तट और दलसागर तालाब पर दीप दान (Kartik Purnima) किया गया। बता दे दिवाली के तरह ही देव दिवाली में भी दिवाली की धूम देखने को मिली। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और मां वैनगंगा की आरती कर दीप दान किया। साथ ही, अपने परिवार के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की।
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वैनगंगा नदी तट और दलसागर तालाब पर कल शाम से ही भक्तों का आना शुरू हो गया और यह शिलशिला लगभग देर रात तक चला। यहां जिलेभर से लोग आए और दीप का दान किया। लोगों ने घाट पर ही स्नान कर आरती की। जिसके बाद घाट को दीपों से सजाया, जिससे आसपास का इलाका रौशनी से भर उठा।
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देव दिवाली मनाने के पीछे पौराणिक मान्यता है। कहा जाता है इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। जिसकी खुशी में देवी-देवता काशी के गंगा घाट पर उतरे और अनेकों दीये जलाए, तब से ही इस दिन को देव दिवाली कहा जाने लगा। इसी परम्परा के तहत दुनियाभर के श्रद्धालु इस दिन पावन नदियों में स्नान करने आते हैं और यहां पर दीपदान कर देवी-देवताओं से आशीर्वाद लेते हैं। साथ ही, अपने परिवार के अच्छी भविष्य की कामना करते हैं। अग्निपुराण में अनुसार, कार्तिक महीने के आखिरी दिन दीपदान जरूर करना चाहिए क्योंकि दीपदान से बढ़कर कोई व्रत नहीं है। वहीं, पद्मपुराण में भगवान शिव ने भी अपने पुत्र कार्तिकेय को दीपदान का महत्व बताया है।
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वहीं, हिंदू धर्म में कार्तिक महीने की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन दान और स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि कार्तिक मास भगवान विष्णु के लिए बेहद खास है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद दान-पुण्य करने से कई तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ समारोह से घर में प्रसन्नता आती हैं। इस दिन घी का दान करने से संपत्ति बढ़ती है और ग्रहयोग के कष्ट दूर होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने वालों को शिव जी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
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