इस मेडिकल कॉलेज का नाम जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखने की मांग

Gaurav Sharma
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शहडोल डेस्क रिपोर्ट। जयस के संस्थापक सदस्य डॉ अभय ओहरी ने शहडोल के मेडिकल कॉलेज का नाम सीडीएस के पूर्व प्रमुख स्वर्गीय बिपिन रावत के नाम पर रखने की मांग की है। उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिखा है। जयेश यानि जय आदिवासी युवा शक्ति के संस्थापक सदस्य व संरक्षक और रतलाम के पूर्व टीबी अधिकारी डॉ अभय ओहरी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने शहडोल में नवनिर्मित मेडिकल कॉलेज का नाम भारतीय सेना के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ स्वर्गीय बिपिन रावत के नाम पर करने की मांग की है। पत्र में डॉक्टर ओहरी ने उल्लेख किया है कि स्वर्गीय बिपिन रावत जी का संबंध मध्यप्रदेश के शहडोल से रहा है और उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका मध्य प्रदेश की बेटी होने के साथ-साथ शहडोल के सोहागपुर की रहने वाली थी। डॉक्टर ओहरी का कहना है कि यदि इस कॉलेज का नाम स्वर्गीय बिपिन रावत के नाम पर रखा जाता है तो यह उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस मेडिकल कॉलेज का नाम जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखने की मांग

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उल्लेखनीय है कि स्व.बिपिन रावत की पत्नी स्व.मधुलिका रावत डिफेन्स वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं और वह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की सोहागपुर रियासत की बेटी थीं। उनके पिता कुंवर मृगेंद्र सिंह सोहागपुर गढ़ी के इलाकेदार हुआ करते थे। वह कोतमा विधानसभा सीट से दो बार कांग्रेस के विधायक भी रहे हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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