Singrauli News : भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोलरेंस अपनाने वाली मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में बैठे अधिकारी कितने ताकतवर हैं इसका उदाहरण सिंगरौली नगर निगम है जहाँ एक अधिकारी पिछले 20 वर्षों से जमे बैठे हैं, जिले में उनके नाम के चर्चे हैं लोग उनपर भष्टाचार के आरोप भी मढ़ने लगे हैं।
नगर निगम सिंगरौली के राजस्व अधिकारी पर पिछले दो दशकों से अपनी कुर्सी पर जमकर बैठे रहने के आरोप लग रहे हैं। एक ही स्थान पर इतने लंबे समय से पदस्थ होने के कारण वे न केवल खुद चर्चा में हैं, बल्कि पूरे नगर निगम कार्यालय में उनकी पकड़ को लेकर भी चर्चा जारी है।
20 वर्षों से एक ही जगह जमे हैं आरपी वैश्य
जानकरी के अनुसार आर.पी वैश्य की जॉइनिंग सिंगरौली नगर निगम में हुई थी और तब से अब तक वह इसी स्थान पर कार्यरत हैं। शासन की स्थानांतरण नीति का खुला उल्लंघन करते हुए वे करीब 20 वर्षों से एक ही पद पर बने हुए हैं। इस लंबी अवधि में उन्होंने विभिन्न विभागों का कार्यभार भी संभाला है, जिनमें से कई महत्वपूर्ण विभाग भी शामिल हैं। यहां तक कि नगर निगम के अन्य कर्मचारी भी इस स्थिति पर हैरान हैं। उनका मानना है कि एक ही स्थान पर इतने वर्षों तक जमे रहना न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह भ्रष्टाचार और सरकारी सिस्टम की लापरवाही को भी उजागर करता है।
आरपी वैश्य पर कई विभागों के प्रभार
ज्ञात हो कि आर.पी वैश्य का मूल पद राजस्व अधिकारी है, लेकिन उनके पास आधा दर्जन से भी अधिक विभागों का प्रभार है। इनमें स्वच्छता विभाग जैसे महत्वपूर्ण प्रभार भी शामिल हैं, लेकिन इन विभागों में व्याप्त समस्याओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इसके चलते नगर निगम की व्यवस्था में सुधार की बजाय, भ्रष्टाचार और असमर्थता की खबरें ही सामने आ रही हैं।
सीनियर अधिकारियों ने साध राखी है चुप्पी
नगर निगम के नए कमिश्नर के पदभार संभालने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। व्यवस्था में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया और भ्रष्टाचार का सिलसिला पहले की तरह जारी रहा। नगर निगम के अधिकारियों के बीच चर्चा है कि यदि वैश्य जैसे अधिकारी विभागों का कार्यभार संभाल सकते हैं, तो अन्य कर्मचारी क्यों काम नहीं कर पा रहे हैं। यह सवाल स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करता है, जो ऐसी स्थिति को बढ़ावा दे रहा है। लगभग 20 वर्षों में एक ही स्थान पर पदस्थ आ.रपी वैश्य को लेकर स्थानीय अधिकारी और कर्मचारी अपनी चुप्पी तोड़े हुए हैं। उनका कहना है कि यदि सरकार के स्थानांतरण नीति का पालन किया जाए, तो भ्रष्टाचार में कमी आ सकती है।
अधिकारियों का मानना है कि जब एक व्यक्ति को कई विभागों का जिम्मा सौंपा जाता है, तो यह साफ तौर पर व्यवस्था के कमजोर होने की ओर इशारा करता है।आखिरकार सवाल यह है कि यदि 20 वर्षों तक किसी अधिकारी ने एक ही स्थान पर कार्य किया है और भ्रष्टाचार की चादर को भी ओढ़ लिया है, तो क्या अब समय नहीं आ गया कि सरकार इस पर सख्त कदम उठाए..? नगर निगम की स्थिति और वहां के कार्यों में सुधार की उम्मीदें अब भी अधूरी हैं।
सिंगरौली से राघवेन्द्र सिंह गहरवार की रिपोर्ट