NH 39 की दुर्दशा को लेकर युवाओं ने निकाली जनआक्रोश पदयात्रा

Amit Sengar
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सिंगरौली,राघवेन्द्र सिंह गहरवार। मध्यप्रदेश का सिंगरौली (Singrauli) जिला जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता है यही कारण है कि यह सिर्फ एक चारागाह बनकर रह गया है। यहाँ अधिकारी,कर्मचारी या नेता सिर्फ अपना जेब भरने व विकास करने में लगे रहते हैं। जनता की समस्या को देखने व सुनने वाला कोई नही है। अक्सर देखा जाता है कि जनता अपनी फरियाद लेकर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों तक दौड़ती रहती है लेकिन सिवाए निराशा के उसे कुछ हासिल नही होता।

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लेकिन कहते हैं कि बर्दाश्त की एक सीमा होती है अगर वो टूट गई तो, क्या अधिकारी और क्या जनप्रतिनिधि सब जनता के आगे बौना साबित हो जाते है फिर यही जनता एक आम आदमी को अपना अमूल्य वोट देकर बड़े बड़े पदों पर बैठाती है और जरूरत पड़ने पर नीचे भी उतार देती है। इस बार सिंगरौली के युवाओं के सहनशीलता का बांध टूट पड़ा है और वो लगभग 12 वर्ष से राष्ट्रीय राजमार्ग 39 के बदहाली को लेकर अब सड़क पर उतर चुकी है। समाजसेवी प्रवीण सिंह चौहान व ज्ञानेन्द्र सिंह चौहान “बबलू” अपने जांबाज बाहदुर साथियों के साथ 110 किलोमीटर की सड़क सिंगरौली-सीधी के 12 वर्ष में भी न बन पाने के कारण पांच दिवसीय पदयात्रा की शुरुआत करते हुए अब तक 75 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके है। NH 39 के मुद्दे पर इन युवाओं को जगह जगह हर किसी का अपार समर्थन मिल रहा है। यहाँ तक कि इस मुहिम में कई संगठनो व मीडिया साथियों ने भी इस पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे प्रवीण सिंह चौहान को समर्थन दे रहे हैं।

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पदयात्रा कर रहे युवाओं के पांवों में पड़े छाले
सीधी सिंगरौली सड़क जो 10-12 वर्ष में भी नही बन पाई जो सिर्फ बड़े बड़े खाइयों व गड्ढों में तब्दील व अधूरी है जो भाजपा सांसद व विधायक के निष्क्रियता के कारण आज तक बनकर तैयार नही हो पाई जबकिं अब तक करोड़ो रूपये इस सड़क के नाम पर खर्च किये जा चुके है। उसी सड़क के लिए आंदोलनकारी युवा लगातार पैदल पद यात्रा करने के दौरान उनके पैरों में छाले पड़ गए है लेकिन उनका हौसला कही कम नही पड़ा है।हाथ मे तिरंगा झाड़ा किये सिंगरौली के युवा लगातार पदयात्रा करते हुए सीधी के तरफ आगे बढ़ रहे हैं।

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जनप्रतिनिधियों के माथे पर चिंता की लकीरें, खिसक रहा नेताओ का जनाधार
युवा समाजसेवी प्रवीण सिंह चौहान व ज्ञानेन्द्र सिंह बबलू अपने साथियों के साथ जब से NH 39 के इस मुहिम की पदयात्रा की शुरुआत किये हैं। तब से लगातार सत्ता पक्ष के सांसद,विधायक के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है।वही विपक्ष में बैठे नेता जो सिर्फ कलेक्ट्रेट तक विरोध प्रदर्शन में नजर आते हैं उन लोगो ने भी इन युवाओं के हौसले व मिल रहे जनाधार समर्थन को देखकर अपने मुंह मे उंगलियां दबा लिए है।वही आने वाले समय मे 2023-24 में विधानसभा व लोकसभा का चुनाव होने वाला है यैसे में इनकी हकीकत जैसे जैसे जनता के सामने आने लगी है तब से इनका जनाधार खिसकता हुआ दिखाई दे रहा है।वही सड़क न बनने से युवाओं व सीधी सिंगरौली की जनता में जो आक्रोश है कही विधानसभा में इनके मंसूबे पर पानी न फेर दे और एक बार फिर भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले सिंगरौली में इन्हें मुंह की खानी पड़े।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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