Wed, Dec 24, 2025

भोपाल में असुरक्षित हैं प्रभु राम, पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

Written by:Gaurav Sharma
Published:
भोपाल में असुरक्षित हैं प्रभु राम, पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

74 Bunglow Security : राजधानी भोपाल में 74 बंगले में स्थित मंत्री प्रभु राम चौधरी के बंगले पर मंगलवार सुबह एनएसयूआई के कार्यकर्ता पोस्टर चिपका गये। मंत्री के बंगले पर तैनात एक मात्र सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोकने की कोशिश भी नहीं की। इस संवेदनशील वीवीआईपी इलाके में हुए इस घटनाक्रम ने मंत्री जी की सुरक्षा और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

ये कैसी सुरक्षा ?

74 बंगले के पॉश इलाके में स्थित है मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी का सरकारी आवास। मंगलवार को मंत्री जी इसी सरकारी आवास में थे क्योंकि कैबिनेट बैठक होनी थी। तभी लगभग 11 एनएसयूआई के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में वहां पहुंचे और मंत्री के बंगले के बाहर पोस्टर लगा दिए।मंत्री जी की नेम प्लेट को भी नहीं बख्शा गया और उस पर भी ‘बिकाऊ लाल चौधरी’ लिख दिया गया. कुछ पोस्टरों पर ‘डॉक्टर बिकाऊ लाल चौधरी की तबादले की दुकान’ और ‘यह स्वास्थ्य मंत्री के बंगला नहीं, बिकाऊ लाल चौधरी के तबादलों का कारखाना है’ लिखा था। एनएसयूआई मेडिकल विंग के संयोजक रवि परमार ने स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी के खिलाफ लगाए गए इन पोस्टरों की वजह बताई कि स्वास्थ्य विभाग में सभी नियमों को दरकिनार करते हुए लाखों रुपए का लेनदेन कर धड़ल्ले से तबादले किए जा रहे हैं। सरकार की इस भ्रष्टाचारी रवैया के कारण जरूरतमंद कर्मचारी परेशान हो रहे हैं। एक ओर जहां स्वास्थ्य मंत्री मौज उड़ा रहे हैं वहां इतनी भीषण गर्मी में पूरे मध्यप्रदेश में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी नियमितीकरण और अन्य जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन और भूख हड़ताल कर रहे हैं।एनएसयूआई विंग ने प्रदेश भर में मंत्री के खिलाफ चरणबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी दे डाली।

सुरक्षा गार्ड के अजीब जवाब 

एनएसयूआई का विरोध तो अपनी जगह राजनीतिक रूप से सही हो सकता है लेकिन इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था वाले इलाके में, जहां दावा किया जाता है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता, इस तरह से कोई भी आकर मंत्री की नेम प्लेट पर पोस्टर चिपका जाए और बंगले को पोस्टरों से पाट दे, यह समझ से परे है। मंत्री के बंगले पर तैनात नगर सैनिक से जब इस बारे में पूछा गया तो वह जवाब देने में सिटपिटा गया। कमिश्नर प्रणाली वाले भोपाल में मंत्री के बंगले पर सरेआम हुई इस घटना ने पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है।