निवाड़ी, मयंक दुबे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) ने मध्य प्रदेश के लोकायुक्त संस्था को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा करते हुए लोकायुक्त को नकली बता दिया जिसकी कमान सरकार के हाथ में है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ रविवार को पृथ्वीपुर के दौरे पर हैं।
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कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए लेकिन आरोप लगाते लगाते हुए सीधे लोकायुक्त पर ही बरस बैठे। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार आएगी तो हम असली लोकायुक्त बनाएंगे। इस तरह का नकली लोकायुक्त नहीं जिसकी लगाम सरकार के हाथों में हो। हमारे लोकायुक्त की चेन वकील, डॉक्टर और शिक्षकों के माध्यम से तैयार होगी।
कमलनाथ के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्य प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (MP Home and Jail Minister Dr. Narottam Mishra) ने उनके इस बयान को बेहद आपत्तिजनक बताया है। नरोत्तम का कहना है कि संसदीय प्रक्रिया से विधिक रूप से स्थापित लोक आयोग जैसी स्वतंत्र संस्था पर कमलनाथ की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक है। मुझे तो इस बात की हैरत है कि लोगों की अपने संसदीय अनुभव की तुलना आखिरकार कमलनाथ किस ज्ञान के आधार पर करते हैं! कमलनाथ का यह बयान आने वाले दिनों में विवाद की वजह बन सकता है।
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दरअसल मध्य प्रदेश में लोकायुक्त (MP Lokayukt) और उप लोकायुक्त की स्थापना 1981 में उस समय की गई थी जब अर्जुन सिंह की सरकार थी। साथ ही केंद्र में लोकपाल अधिनियम 2013 में उस समय पारित किया गया जब यूपीए (UPA Government) की मनमोहन सिंह की सरकार नेतृत्व कर रही थी। ऐसे में कमलनाथ ने यह टिप्पणी कैसे की, यह सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है