Shiv Mandir Ujjain News: विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में इन दिनों निर्माण कार्य प्रगति पर है और एक के बाद एक नई नई चीजें निर्मित की जा रही है। हाल ही में खुदाई के दौरान लगभग 1000 वर्ष पुराना शिव मंदिर मिला है। जिसे अब फिर से आकार देने की योजना बना ली गई है।
प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा मिले हुए अवशेषों की नंबरिंग पूरी कर ली गई है पर मंदिर की ड्राइंग भी बनकर तैयार है। इस मंदिर को पुनर्स्थापित करने के बाद महाकाल दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु यह देख सकेंगे कि 1000 साल पुराना ही शिव मंदिर कैसा दिखता था।
Shiv Mandir Ujjain का फिर होगा निर्माण
महाकाल मंदिर निर्माण के लिए की जा रही खुदाई के दौरान साल 2021 में 1000 वर्ष पुरानी मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए थे। मंदिर समिति द्वारा इस बात की जानकारी भोपाल स्थित मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग को दी गई थी। इसके बाद वहां के अधिकारी डॉ धुवेंद्र जोधा के निर्देशन में आगे की खुदाई की गई थी।
जब आगे की खुदाई करी गई तो मंदिर के और भी अवशेष प्राप्त हुए और एक गौरवशाली इतिहास निकल कर सामने आया। यहां से शिव मंदिर का आधार भाग शिवलिंग समेत नंदी, गणेश और मां चामुंडा की मूर्ति प्राप्त हुई। इसी के साथ 2000 साल पुराने शुंग, कुषाण सहित मौर्य और परमार काल के मिट्टी के बर्तन भी मिले थे। विभाग ने इन सभी चीजों को एक जगह पर इकट्ठा कर लिया है।
लोगों की मांग के बाद मंदिर समिति की ओर से पुरातत्व विभाग के साथ चर्चा करते हुए एक बार फिर मंदिर का निर्माण करने का फैसला लिया गया है। इसे शोध केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा और जल्द ही इसका निर्माण होगा।
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खंडित हो रहे अवशेष
खुदाई के दौरान प्राप्त हुए सभी अवशेषों को पुरातत्व विभाग की ओर से एक जगह संग्रहित कर रखा गया था। नंबरिंग करने के बाद विभाग डिजाइन बनाने में व्यस्त हो गया और इधर इन अवशेषों का ध्यान रखने वाला कोई नहीं है।
मंदिर परिसर में बनाए गए जल स्तंभ के पास इन अवशेषों को संरक्षित कर रखा गया है। लेकिन यहां पर भोलेनाथ की जलाधारी खंडित अवस्था में पाई गई। इस बात की जानकारी शोध अधिकारियों को दे दी गई है और वह जल्द निरीक्षण करने के लिए पहुंचेंगे।
स्मार्ट सिटी ने सहेजी पुरानी संपदा
महाकाल के आसपास चल रहे निर्माण कार्यों में स्मार्ट सिटी लगातार अपना योगदान दे रही हैं और इसी के चलते महाराजवाड़ा के समीप पुराने महाकाल द्वार को संरक्षित किया गया है। इस जगह का जीर्णोधार किया गया है और प्राप्त हुई पुरानी संपदा को कंपनी द्वारा सहेजा गया है। इस द्वार के अंदर दो गुफाएं हैं इन्हीं में अवशेषों को सुरक्षित रखते हुए श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ हेतु रखा गया है।