ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron Variants) की आहट के बीच वैक्सीनेशन (Vaccination) सहित अन्य सावधानियां पर एक बार फिर सरकार और प्रशासन अतिरिक्त गंभीर हो गए हैं। ग्वालियर में मंगलवार को इसका उदाहरण देखने को मिला। ग्वालियर कलेक्टर ने जनसुनवाई(Gwalior Collector Jansunwai) कक्ष में उन्हीं लोगों को अंदर आने की अनुमति दी जिन्होंने वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए हैं। खास बात ये रही कि कलेक्टर ने जनसुनवाई कक्ष के बाहर वैक्सीनेशन की विशेष व्यवस्था की हुई थी।
प्रत्येक मंगलवार को ग्वालियर कलेक्ट्रेट में आयोजित की जाने वाली जनसुनवाई आज मंगलवार को हर बार से अलग थी। इस बार जनसुनवाई कक्ष में उन्हीं लोगों को प्रवेश की अनुमति दी गई जिन्होंने कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लगवा रखे थे। इसकी चैकिंग के लिए कक्ष के बाहर एक कर्मचारी शिकायती आवेदन देने आये लोगों के आधार कार्ड और उनके मोबाइल नंबर से उनका वैक्सीनेशन कन्फर्म कर रहा था।
चैकिंग के दौरान बहुत से आवेदक ऐसे निकले जिन्होंने सरोना वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं लगवाए थे। ऐसे लोगों के आने की संभावनाओं को देखते हुए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जनसुनवाई कक्ष के बाहर ही वैक्सीनेशन की विशेष व्यवस्था की हुई थी।
मोहनपुर से अपनी फरियाद लेकर पहुंची श्रीमती लक्ष्मी से जब कहा गया कि पहले वैक्सीन लगवाओ, तभी आपको जनसुनवाई में जाने दिया जायेगा। यह सुनकर पहले तो वे हैरत में पड़ गई, और इनकार करने लगी, मगर जब उन्हें कोरोना वैक्सीन का महत्व समझाया गया तो उन्होंने खुशी-खुशी वैक्सीन लगवा ली। इस तरह जनसुनवाई के दौरान 33 आवेदनकर्ताओं को कोरोना वैक्सीन के खासतौर पर द्वितीय डोज लगाए गए।
जनसुनवाई में कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने विभिन्न जरूरतमंदों के नि:शुल्क इलाज का इंतजाम कराया। साथ ही खाद्यान्न पर्ची एवं जमीन संबंधी समस्याओं का निराकरण भी किया। उन्होंने खाद्यान्न पर्ची देने में लापरवाही बरत रहे नगर निगम के एक कर्मचारी की सेवायें समाप्त करने की हिदायत संबंधित अधिकारियों को दी। इसी तरह रहवासियों को शर्तों के अनुसार बुनियादी सुविधायें न देने और आवासी क्षेत्र में अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने यशोदा रेसीडेंसी के मालिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने के निर्देश संबंधित एसडीएम को दिए।
About Author
Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....