दमोह : ऑपरेशन के बाद महिलाओं को नसीब नहीं हुआ स्ट्रेचर, गोद में उठाकर ले जाते नजर आए परिजन

Gaurav Sharma
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दमोह/बटियागढ़, गणेश अग्रवाल। स्वास्थ्य विभाग (health department) कोरोना (corona) के प्रति कितना सजग और मरीजों के स्वास्थ्य को लेकर कितना संवेदनहीन है,  इसका नजारा दमोह (Damoh) जिले के बटियागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में देखने को मिला, जहां नसबंदी के लिए आई महिलाओं को आपरेशन के बाद स्ट्रेचर (Stretcher)  तक नसीब नहीं हुआ। महिलाओं को उनके परिजन अपनी गोद में उठाकर ले जाते हुए नजर आए।

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सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के चाहे कितने भी दावे किए जाएं। लेकिन, हर बार जो तस्वीरें आती हैं, वह वास्तविकता को बयान कर ही देती हैं। कई तस्वीरें तो ऐसी हैं, जो बार-बार सामने आती हैं, उसके बावजूद भी स्वास्थ्य महकमा इनको बदलने की कोशिश नहीं कर पा रहा है। दमोह जिले के बटियागढ़ में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को तार-तार करने वाली कुछ ऐसे ही तस्वीरें सामने आई हैं। जहां जनसंख्या नियंत्रण (Population control) के लिहाज से  आयोजित होने वाले नसबंदी शिविर (Sterilization camp) किस ढर्रे में चल रहे हैं, इसकी बानगी तस्वीरों में आसानी से देखी जा सकती है।

 

परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अनेक प्रकार की सुविधाएं दी जा रहीं हैं। इनके संचालन की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग पर है, लेकिन जिम्मेदार शासन की मंशा को पलीता लगा रहे हैं। शिविर में कोरोना संक्रमण होने के खतरे का भी ध्यान नहीं रखा गया। महिलाओं को ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकालने के लिए स्ट्रेचर ही  नहीं दिया  गया। इसके साथ ही वहां पर महामारी से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं कराया जा रहा और न ही मुंह पर मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया गया। सबसे बड़ी बात ये है कि ऑपरेशन कराने आयी महिलाओं के पास कुत्ते और मवेशी भी घूमते नजर आए, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हुई।

दमोह : ऑपरेशन के बाद महिलाओं को नसीब नहीं हुआ स्ट्रेचर, गोद में उठाकर ले जाते नजर आए परिजन दमोह : ऑपरेशन के बाद महिलाओं को नसीब नहीं हुआ स्ट्रेचर, गोद में उठाकर ले जाते नजर आए परिजन

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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